महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को बदलापुर यौन उत्पीड़न आरोपी अक्षय शिंदे के एनकाउंटर पर पुलिस का समर्थन करते हुए कहा कि यह “आत्मरक्षा” में किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस पर हमला होता है तो वह ताली नहीं बजाएगी। फडणवीस ने कहा, “हम एनकाउंटर में विश्वास नहीं करते हैं, और मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि कानून का पालन होना चाहिए और अपराधी को जल्द से जल्द सज़ा मिलनी चाहिए। लेकिन अगर पुलिस पर हमला होता है, तो वह ताली नहीं बजाएगी।”
अक्षय शिंदे, जिसे बदलापुर में स्कूल के टॉयलेट में दो चार साल की बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, की इस हफ्ते पुलिस के साथ एक कथित मुठभेड़ में मौत हो गई। घटना तब हुई जब शिंदे को ताड़ोजा सेंट्रल जेल से ठाणे क्राइम ब्रांच लाया जा रहा था, और उसने मुंब्रा बायपास के पास पुलिस की रिवॉल्वर छीनकर उन पर गोलियां चला दीं।
एनकाउंटर के अगले दिन मुंबई में ‘बदला पूरा’ (बदला पूरा हुआ) के पोस्टर फडणवीस की बंदूक पकड़े हुए तस्वीरों के साथ दिखाई दिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि “इस तरह की घटनाओं का महिमामंडन गलत है” और “ऐसा नहीं होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि राज्य सीआईडी इस घटना की निष्पक्ष जांच करेगी।
हालांकि, अक्षय शिंदे के एनकाउंटर ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार और विपक्ष के बीच विवाद को जन्म दिया है। विपक्ष और शिंदे के परिवार ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए पुलिस की कहानी पर संदेह जताया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने इसे लेकर कहा कि शिंदे और फडणवीस के बीच एनकाउंटर का श्रेय लेने की “प्रतिस्पर्धा” चल रही है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अक्षय शिंदे की हिरासत में हुई मौत को लेकर महाराष्ट्र पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा कि इस मामले में कुछ “गड़बड़ी” लग रही है और घटना की निष्पक्ष जांच की जरूरत है। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “आरोपी को सीधे सिर में क्यों मारा गया? पहले उसे पैरों या हाथों में क्यों नहीं मारा गया?…इस मुठभेड़ को टाला जा सकता था।”
हाईकोर्ट ने कहा कि जब शिंदे ने पहली बार गोली चलाई, तो पुलिस आसानी से उसे काबू में कर सकती थी। “वह कोई विशालकाय व्यक्ति नहीं था, जिसे काबू करना मुश्किल होता। यह बहुत ही मुश्किल है कि इसे एनकाउंटर कहा जाए।”
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