हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रवि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह व्रत कल यानि 19 मार्च 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। सनातन धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ सूर्य देव की उपासना का भी विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस उपवास रखने से साधक को रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। साथ ही उसे धन-समृद्धि और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।

शास्त्र नियमावली के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट के बाद तक की जाती है। साथ ही इस दिन साधकों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी सी गलती भी बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि और नियम।
रवि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 19 मार्च 2023, सुबह 06 बजकर 37 मिनट से
चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त: 20 मार्च 2023, सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर
रवि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त: 19 मार्च 2023 रविवार, शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात्रि 08 बजकर 44 मिनट तक
रवि प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और सफेद रंग का वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद तांबे के लोटे में जल, रोली, अक्षत और पुष्प मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करें।
- फिर घर के मन्दिर में भगवान शिव की विधिवत उपासना करें और मन-ही-मन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें।
- प्रदोष काल में भगवान शिव को पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर और मधु से स्नान कराएं और अक्षत, चंदन और बेलपत्र आदि अर्पित करें।
- इसके बाद धूप-दीप जलाएं और भगवान शिव को खीर व चफल का भोग लगाएं। अंत में शिव चालीसा और भगवान शिव की आरती का पाठ करने बाद पूजा सम्पन्न करें।
रवि प्रदोष व्रत नियम
- व्रत की अवधि में मन में नकारात्मक या गलत विचार उत्पन्न न होने दें और परिवार के किसी बड़े या छोटे सदस्य से कलह ना करें।
- रवि प्रदोष व्रत के दिन नाखून, बाल या दाढ़ी बनवाना भी वर्जित है। ऐसा करने से भगवान क्रोधित हो सकते हैं।
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