मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बाढ़ जैसी आपदाएं दो वजहों से आती हैं। एक मनुष्य की ठेकेदारी प्रथा और दूसरी प्रकृति से हमने ठेकेदारी प्रथा से आने वाले बाढ़ को रोकने का काम किया है। उदाहरण देते हुए कहा कि बाराबंकी के एल्गिन बांध के नाम पर हर साल ₹100 पानी में बाहर जाता था। हमने इस प्रथा पर रोक लगाते हुए मात्र 5 करोड़ रुपए में मां को रोकने में सफलता प्राप्त की है।
मुख्यमंत्री बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आपदा प्रबंधन पर आयुध दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हर जिले में आपदा मित्रों को रखा जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में भी आपदा प्रबंधन जैसे विषयों को पढ़ाया जाए। जिससे छात्र जीवन से ही बच्चे इसके बारे में जागरूक हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के 9 राज्य किसी न किसी प्रकार के आपदा से प्रभावित रहते हैं। इसमें उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रभावित होने वाले राज्यों में शामिल है यूपी पर प्रकृति और परमात्मा की कृपा है। उन्होंने कहा कि यूपी में बाढ़ की प्रकृति में बदलाव आया है। पहले पहाड़ी क्षेत्रों से सटे इलाकों में बाढ़ आता था और गंगा यमुना में बाद में बाढ़ आता था। अब गंगा यमुना में पहले बाढ़ आ रही है और पहाड़ी इलाकों में बाद में बाढ़ आ रही है। उन्होंने क्षेत्रीय सम्मेलन ने शामिल होने के लिए आए लोगों से विशेषज्ञों से कहा कि वे अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयोगों के बारे में यहां पर चर्चा करें जिससे इस पर जिससे अमल में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से सर्वे उत्तर प्रदेश में होती हैं। उसमें भी 2 जिले सोनभद्र और मिर्जापुर सबसे अधिक प्रभावित वाले जिले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आकाशीय बिजली से लोगों को बचाने के लिए सतर्क करने वाली जैसी कोई व्यवस्था लागू की जाए और चार-पांच घंटे पहले ही इसकी सूचना क्षेत्रों में दे दी जाए। जिससे जनहानि को कम किया जा सके मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 हमको बहुत कुछ सिखाया है। भारत के मॉडल को पूरी दुनिया में सराहा गया है ।