राजधानी की सड़कों पर निजी बसें नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। यह बसें न केवल क्षमता से अधिक सवारियों को ले जा रही हैं बल्कि अवैध रूप से सामान को भी एक राज्य से दूसरे राज्य ले जा रही हैं। इससे कर चोरी के मामले बढ़ रहे हैं। दिल्ली परिवहन विभाग ने अब इस पर लगाने की कवायद शुरू की है। हाल में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली में यातायात व्यवस्था को लेकर पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक में एलजी ने नियमों को तोड़ने वाली निजी बसों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कार्रवाई करने के लिए 14 टीमों को लगाया गया है। बीते सप्ताह की कार्रवाई के दौरान ओवरलोडिंग, परमिट शर्तों का उल्लंघन करने, बेतरतीब जगहों पर रुकने और अवैध रूप से वाणिज्यिक सामान ले जाने पर 291 बसों को जब्त किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि निजी बसों को अनुबंध वाहन के रूप में संचालित करने के लिए परमिट दिया जाता है। इसमें यह होता है कि निजी बसों को पूर्व निर्धारित बिंदुओं पर अपनी यात्रा शुरू और समाप्त करनी होगी, लेकिन बसों के पास विभिन्न स्थानों पर यात्रियों को लेने या छोड़ने का अधिकार है, लेकिन आमतौर पर बसें यात्रियों के बिठाने और उतारने के लिए अवैध रूप से सड़क किनारे खड़ी होती हैं। इससे यातायात भी प्रभावित होता है।
पांच स्थानों पर हो रही निगरानी
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के पांच स्थानों पर सबसे ज्यादा निजी बसों की आवाजाही होती है। इसमें मजनूं का टीला, अक्षरधाम, आनंद विहार, सरोजिनी नगर और धौला कुआं हैं। इन स्थानों पर विशेष निगरानी के लिए टीमें तैनात की गई हैं। यह टीमें शाम चार बजे से रात 12 बजे तक कार्रवाई कर रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि परमिट उल्लंघन पर 10,000 रुपये और ओवरलोडिंग पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। अगर एक से अधिक नियमाें को तोड़ने के मामले मिलते हैं तो उन बसों को जब्त भी कर लिया जाता है।
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