लंबे समय से टी-20 विश्व कप की ट्राफी से वंचित भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में अपने खिताबी सूखे को खत्म करने के इरादे से उतरेगी। आस्ट्रेलिया में होने वाले इस वैश्विक टूर्नामेंट की शुरुआत 16 अक्टूबर से होगी, लेकिन रोहित शर्मा की अगुआई वाली भारतीय टीम 23 अक्टूबर को पाकिस्तान के विरुद्ध सुपर-12 चरण से अपने अभियान की शुरुआत करेगी।
भारत ने 2007 में महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में टी-20 विश्व कप के पहले संस्करण में इस ट्राफी को अपने नाम किया था, लेकिन इसके बाद टीम कभी यह खिताब अपने नाम नहीं कर सकी है। हालांकि, 2014 में भारत के पास दोबारा यह कारनामा करने का मौका था, लेकिन टीम फाइनल में हार गई थी। भारतीय टीम इस बार रोहित की कप्तानी में उतरेगी जिनका द्विपक्षीय सीरीज में रिकार्ड काफी शानदार रहा है, लेकिन अगस्त-सितंबर में हुए एशिया कप में टीम उनकी कप्तानी में फाइनल तक भी नहीं पहुंच सकी थी। भारतीय टीम द्विपक्षीय सीरीज में किसी भी टीम के विरुद्ध हावी पड़ती है, लेकिन बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट में आशा के अनुरूप प्रदर्शन करने में विफल साबित हो रही है।
चोट बनी समस्या : भारतीय टीम के लिए खिलाड़ियों की चोट चिंता का विषय बनी हुई है। एशिया कप के दौरान टीम के आलराउंडर रवींद्र जडेजा चोटिल हो गए थे जिस कारण उन्हें टी-20 विश्व कप के लिए टीम में नहीं चुना गया था। इसके बाद तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह भी चोटिल हो गए और तमाम प्रयास के बावजूद वह फिट नहीं हो सके। भारतीय टीम को अगर इस बार ट्राफी अपने नाम करनी है तो उसे वैसा ही प्रदर्शन दोहराना होगा, जैसा कि टीम द्विपक्षीय सीरीज में करती है।
आस्ट्रेलिया के पास लगातार ट्राफी जीतने का मौका : मेजबान आस्ट्रेलिया मौजूदा चैंपियन के रूप में इस बार टी-20 विश्व कप खेलने के लिए उतरेगा और उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी धरती पर खिताब बचाने की होगी। आस्ट्रेलिया की टीम ट्राफी की प्रबल दावेदार है। आस्ट्रेलिया की नजरें लगातार दूसरी बार इस ट्राफी को अपने नाम करने पर होगी। उसकी टीम में कुछ उदीयमान खिलाड़ी भी शामिल हैं जिनमें ¨सगापुर में जन्मे आलराउंडर टिम डेविड प्रमुख हैं। सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर, पिछले साल की प्रतियोगिता के स्टार मिशेल मार्श और तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड उन खिलाडि़यों में शामिल हैं जो पिछले साल भी टी-20 विश्व कप में खेले थे।
टी-20 में भी दम दिखाना चाहेगा इंग्लैंड : फार्म में चल रही इंग्लैंड की टीम के पास सीमित ओवर के दोनों प्रारूपों में मौजूदा विश्व चैंपियन बनने का अच्छा मौका है। इंग्लैंड की टीम 2019 में घरेलू सरजमीं पर सफलता हासिल करने के बाद 50 ओवर में मौजूदा चैंपियन के तौर पर टी-20 विश्व कप के लिए आस्ट्रेलिया पहुंची है। टीम 2016 में भी टी-20 विश्व कप जीतने के करीब पहुंची थी, जिसमें वह फाइनल में वेस्टइंडीज से हार गई थी। हालांकि, टीम ने 2010 में इस ट्राफी को जीता था।
पाकिस्तान भी प्रबल दावेदार : कप्तान बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान की दमदार सलामी जोड़ी और शानदार तेज गेंदबाजी के कारण पाकिस्तान टी-20 विश्व कप जीतने के सबसे मजबूत दावेदारों में से एक है। बाबर और रिजवान ने टी-20 क्रिकेट में पिछले एक साल में काफी रन बनाए हैं। इंग्लैंड के विरुद्ध हाल ही में सात मैचों की घरेलू सीरीज में दोनों ने स्ट्राइक रेट में काफी सुधार किया है। पिछले कुछ मैचों में शादाब खान और मोहम्मद नवाज के अच्छी बल्लेबाजी ने पाकिस्तान को मध्य क्रम में और अधिक गहराई प्रदान की है। आशा है कि विश्व कप से पहले तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी घुटने की चोट से उबर जाएंगे। इससे पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी की मारक क्षमता और बढ़ेगी। तेज गेंदबाजी हमेशा से पाकिस्तान का मजबूत पक्ष रहा है।
उपविजेता बनने का क्रम तोड़ना चाहेगी न्यूजीलैंड : हमेशा आखिरी कदम पर बाजी हारने वाली न्यूजीलैंड की टीम इस बार टी-20 विश्व कप में यह तिलिस्म तोड़ने के इरादे से उतरेगी। पिछली बार 2015 और 2019 विश्व कप में उपविजेता रहने के बाद पिछले साल टी-20 विश्व कप के फाइनल में हारी न्यूजीलैंड टीम इस बार कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। इस बार उसके पास टी-20 विश्व कप के लिए सर्वश्रेष्ठ टीम है। उसके पास अनुभव और अच्छे प्रदर्शन की भूख भी है।
द. अफ्रीका के पास चोकर्स का दाग मिटाने का अवसर : मार्क बाउचर अपने लंबे करियर में खिलाड़ी के तौर पर दक्षिण अफ्रीका को टी-20 विश्व कप चैंपियन बनते हुए नहीं देख सके, लेकिन बतौर कोच उनके पास ऐसा करने का मौका होगा या नहीं, इस पर सवाल बरकरार है। दक्षिण अफ्रीका ने कभी भी 50 ओवर या 20 ओवर के विश्व कप में ट्राफी नहीं जीती है, जिससे इस बार आस्ट्रेलिया में भी जीत की आशाएं इतनी अच्छी नहीं है, क्योंकि टीम की तैयारियों को झटका लगा है। कप्तान तेंबा बावुमा दबाव में है, जबकि रासी वान डेर डुसैन और ड्वेन प्रिटोरियस चोट के कारण बाहर हैं। ऐसे में डेविड मिलर के कंधों पर ज्यादा जिम्मेदारी है।
बढ़े मनोबल के साथ उतरेंगी विंडीज और श्रीलंका : वेस्टइंडीज एकमात्र ऐसी टीम है जिसने टी-20 विश्व कप दो बार जीता है, जबकि 2014 की चैंपियन श्रीलंका चैंपियनशिप में तीन बार फाइनल में पहुंचने वाली एकमात्र टीम है। ऐसी उपलब्धियों के बावजूद इन दोनों टीमों को आस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप के पहले दौर में खेलना होगा। इसमें जीत दर्ज करने पर ही वे मुख्य दौर के लिए क्वालीफाई कर पाएंगी। श्रीलंका एशिया कप जीतकर बढ़े मनोबल के साथ इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेगी। उसे ग्रुप-ए में रखा गया है जहां उसका पहला मैच रविवार को गीलांग में नामीबिया से होगा। निकोलस पूरन की अगुआई वाली वेस्टइंडीज की टीम को ग्रुप-बी में रखा गया है और वह सोमवार को अपना पहला मैच होबार्ट में स्काटलैंड से खेलेगी।
गेंदबाजों के सहारे अफगानिस्तान : अफगानिस्तान के लिए टी-20 विश्व कप में आस्ट्रेलिया की परिस्थितियां प्रतिकूल होगी, लेकिन यह टीम चुनौतियों से निपटने के लिए जानी जाती है। राशिद खान के नेतृत्व में लंबे समय से टीम के स्पिनर शानदार प्रदर्शन कर रहे है और अब तेज गेंदबाजों ने भी अपना स्तर ऊंचा किया है। दमदार गेंदबाजी और आक्रामक बल्लेबाजी के दम पर अफगानिस्तान की टीम खेल के छोटे प्रारूप में किसी भी मजबूत टीम को आश्चर्यचकित करने की क्षमता रखती है।
बांग्लादेश के लिए कठिन होगी चुनौती : एशिया कप में खराब प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश की टीम ने हाल ही में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के साथ हुई त्रिकोणीय सीरीज में निराशाजनक प्रदर्शन किया था, जिससे उसके लिए टी-20 विश्व कप में चुनैती काफी कठिन होगी। बांग्लादेश की टीम त्रिकोणीय सीरीज में एक भी मैच नहीं जीत सकी थी।