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शारदीय नवरात्रि 2024: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्रों का महत्व

आज, 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार, से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत दो शुभ संयोगों के साथ हुई है। इस बार नवरात्रि का प्रारंभ इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में हुआ है। कहा जा रहा है कि मां दुर्गा डोली में सवार होकर अपने मायके यानी पृथ्वी लोक आई हैं। वे अपने पुत्रों गणेश, कार्तिकेय और शिव गणों के साथ यहां पहुंची हैं। भक्तों ने आज के दिन मां दुर्गा का आह्वान कर कलश स्थापना की और देवी की पूजा आरंभ की है। इस पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप, मां शैलपुत्री, की पूजा की जाती है। यह दिन नौ दिनों तक चलने वाले व्रत और उपवास की शुरुआत को चिह्नित करता है, हालांकि कुछ लोग केवल प्रथम और अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं। आइए श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त, भोग और इस पूजा के लाभों के बारे में।

शारदीय नवरात्रि 2024: पहला दिन

अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 3 अक्टूबर को रात 12:18 बजे से हुई और यह 4 अक्टूबर को सुबह 2:58 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर को माना गया है। यह शुभ पर्व अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है।

नवरात्रि कलश स्थापना और पूजा का मुहूर्त 2024

  • प्रातःकाल: 6:15 बजे से 7:22 बजे तक
  • दोपहर: 11:46 बजे से 12:33 बजे तक

शारदीय नवरात्रि 2024: शुभ योग और नक्षत्र

  • इंद्र योग: आज प्रातःकाल से कल प्रातः 4:24 बजे तक रहेगा।
  • हस्त नक्षत्र: आज सुबह से दोपहर 3:32 बजे तक।
  • चित्रा नक्षत्र: आज दोपहर 3:32 बजे से कल शाम 6:38 बजे तक रहेगा।

मां शैलपुत्री का प्रिय फूल

मां शैलपुत्री को गुड़हल और कनेर के फूल अत्यधिक प्रिय हैं। पूजा के समय इन फूलों को अर्पित करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मां शैलपुत्री को अर्पित होने वाला भोग

देवी शैलपुत्री को सफेद रंग के खाद्य पदार्थ विशेष रूप से प्रिय हैं। उनके भोग में गाय के दूध से बनी खीर या कोई सफेद मिठाई अर्पित की जा सकती है। इसके अलावा गाय के घी का भी भोग लगाया जा सकता है।

मां शैलपुत्री के पूजन के मंत्र

  1. ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः।
  2. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
  3. ह्रीं शिवायै नमः।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि

पर्वतराज हिमालय की पुत्री, मां शैलपुत्री गौरवर्ण धारण करती हैं और उनके हाथ में त्रिशूल और कमल का फूल होता है। वे वृषभ (बैल) की सवारी करती हैं और उनके मस्तक पर अर्धचंद्र शोभित होता है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा प्रारंभ करें। पूजा में देवी को अक्षत्, पुष्प, फल, मिठाई, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। पूजन के दौरान मंत्रों का उच्चारण करें और अंत में भोग लगाकर मां की आरती करें।

मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ

  1. मां शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
  2. देवी की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. यश, कीर्ति, धन और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  4. मां शैलपुत्री की कृपा से कुंडली के चंद्र दोष का भी निवारण होता है।

मां शैलपुत्री की पूजा न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि जीवन के विविध क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि भी प्रदान करती है।

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