कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या छोटी दीपवली के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले आता है और इसका विशेष महत्व है। इस दिन यमराज की पूजा का आयोजन होता है, साथ ही यम का दीया जलाने की परंपरा भी है। आइए, जानते हैं इसके पीछे का महत्व।
छोटी दिवाली पर यम का दीया जलाने का महत्व
नरक चतुर्दशी पर यम देवता के लिए दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। यह कार्य परिवार में सुख-समृद्धि लाने का संकल्प भी करता है। यमराज की पूजा से घर का माहौल सकारात्मक और शुभ बनता है।
नरक चतुर्दशी के विशेष नियम
इस दिन घर के मुख्य दरवाजे पर सरसों के तेल का दीपक लगाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। खाने में प्याज-लहसुन का सेवन न करें और देर तक सोने से बचें। जरूरतमंदों को दान अवश्य दें।
छोटी दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष छोटी दिवाली का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर की शाम 4:36 बजे से 6:15 बजे तक रहेगा। पूजा के बाद, यम का दीया दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, दीपक निकालने के बाद उसके पास नहीं जाना चाहिए।
कैसे जलाएं यमराज का दीया
यमराज के लिए दीप जलाने के लिए एक बड़ा मिट्टी का चौमुखा दीपक लें, जिसमें चार बत्तियाँ लगाएं और सरसों का तेल भरें। इस दीपक को परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति में शाम के प्रदोष काल में जलाना चाहिए। फिर इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें।
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