मंगलवार को अदालत ने मामले में सभी 16 आरोपियों को दोषी ठहराया। उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया, जिनमें 417 (धोखाधड़ी), 153-A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153-B (राष्ट्रीय एकता को हानि पहुंचाने वाले आरोप), 295-A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से अपमानजनक कृत्य), 298 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से शब्दों का उच्चारण) और 120-B (आपराधिक साजिश) शामिल हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निषेध अधिनियम 2021 की धारा 5 और 8 के तहत भी उन्हें दोषी ठहराया गया।
अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (लखनऊ) मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया, “16 में से 12 को IPC की धारा 121-A और 123 के तहत भी दोषी पाया गया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि शेष 4 को 10 साल की कैद की सजा दी गई।”
IPC की धारा 121-A भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध की साजिश से संबंधित है, जबकि धारा 123 युद्ध छेड़ने के उद्देश्य से साजिश को छिपाने के लिए होती है।
उम्रकैद की सजा पाने वाले 12 दोषियों में से पांच उत्तर प्रदेश से हैं — मोहम्मद उमर गौतम, मुफ़्ती क़ाज़ी जाहगीर आलम क़ासमी, मौलाना कलीम सिद्दीकी, सरफराज अली जाफरी, और अब्दुल्ला उमर। पांच महाराष्ट्र से हैं — भूप्रिय बंडो उर्फ़ अर्सलान मुस्तफा, प्रसाद रमेश्वर कावरे उर्फ़ आदम, डॉ. फ़राज़ शाह, इरफ़ान शेख़ उर्फ़ इरफ़ान खान, और धीरज जगताप। शेष दो में से एक झारखंड (कौशर आलम) और एक गुजरात (सालाउद्दीन ज़ैनुद्दीन शेख़) से हैं।
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