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“मांखुर्द शिवाजी नगर की लड़ाई – किसके हाथ में होगा क्षेत्र का भविष्य?”

मांखुर्द शिवाजी नगर में विधानसभा चुनाव के लिए गहमागहमी शुरू हो गई है, जहां मौजूदा विधायक अबू आसिम आजमी, एनसीपी के नवाब मलिक और शिवसेना के सुरेश ‘बुलेट’ पाटिल के बीच तीखी टक्कर देखने को मिल रही है। तीन बार के विधायक अबू आसिम आजमी समाजवादी पार्टी से हैं और महाविकास अघाड़ी (MVA) के गठबंधन में जुड़े हुए हैं। दूसरी ओर, महायुती के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेश पाटिल शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और एक ओर एनसीपी के नवाब मलिक भी हैं, जो महायुती के अन्य दो दलों के विरोध के बावजूद मैदान में उतर चुके हैं।

मलिक ने मंगलवार को चुनाव प्रचार का शुभारंभ अपने चुनाव कार्यालय के उद्घाटन और रोड शो के साथ किया, जिसमें सैकड़ों लोग गुलाबी स्कार्फ और टोपी पहने हुए नजर आए। “माहौल बदलने वाला है” का नारा गूंजता रहा, लेकिन बीजेपी का कोई झंडा नजर नहीं आया, क्योंकि पार्टी ने मलिक के लिए प्रचार न करने का फैसला किया है।

यहां की राजनीति में कई प्रकार की जटिलताएं देखी जा रही हैं। जनता में एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर के साथ-साथ मुस्लिम वोटों का विभाजन भी अहम मुद्दा बन गया है। एक एनसीपी कार्यकर्ता तुषार जाधव ने कहा, “यहां के लोग अबू आसिम आजमी से बदलाव चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने नशे का बढ़ावा, अपराध और गुंडागर्दी को बढ़ाया है।” जाधव ने मलिक का समर्थन करते हुए उनकी अनुषक्ति नगर में की गई उपलब्धियों का हवाला दिया, जहां उन्होंने स्थिति को बेहतर किया है।

कुछ महिलाएं भी मलिक के पक्ष में नजर आईं, जिन्होंने कहा कि मलिक ने उनकी काफी मदद की है। वहीं, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि आजमी का दबदबा अब भी बना हुआ है। इंडियन ऑयल नगर की रुखसाना मिर्जा ने कहा कि आजमी ने पानी की समस्या का समाधान किया और क्षेत्र में सड़कें बनवाईं हैं। “उनकी दबंगई कहीं न कहीं लोगों के फायदे में काम आई है, इसलिए कई लोग उन्हें ही वोट देंगे,” उन्होंने कहा।

मलिक के भाजपा गठबंधन से जुड़े होने के कारण लोग उनके प्रति थोड़े संकोच में हैं। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि गरीब क्षेत्र में वोटों को पैसे और उपहारों के जरिए प्रभावित किया जा सकता है।

रैली के दौरान कई लोग ऐसे भी दिखे जो अबू आसिम आजमी से नाराज थे। अफजल अंसारी ने कहा, “मलिक की रैली में एक भी बीजेपी का झंडा नहीं है, इससे क्या पता चलता है? आजमी ने इस क्षेत्र का कोई विकास नहीं किया और अपनी राजनीति में सिर्फ दबंगई दिखाई है।”

जैसे ही रैली गरीब बस्तियों की ओर बढ़ी, लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। कुछ लोग आजमी या मलिक के प्रति निष्ठा के कारण उन्हें वोट देना चाहते हैं, जबकि कुछ ने बीजेपी को मौका देने की बात की। वहीं, यूसुफ भाटियारावाला ने शिंदे की शिवसेना के सुरेश ‘बुलेट’ पाटिल का समर्थन करते हुए कहा, “जब वे पार्षद थे, तो उनकी मदद हमेशा हमें मिलती थी।”

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