उत्तर प्रदेश में ईवी पालिसी के तहत हाइब्रिड वाहनों के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर भी पंजीकरण शुल्क माफ करने की तैयारी है। प्रदेश में अभी 8-10 फीसदी पंजीकरण शुल्क है। इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत 4 लाख रुपये तक कम हो जाएगी।
रविवार को प्रमुख भारतीय वाहन निर्माताओं के साथ मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की इस संबंध में बैठक हुई थी। बैठक में परिवहन सहित औद्योगिक विकास के अधिकारी मौजूद थे। वाहन कंपनियों को स्पष्ट किया गया कि प्लग-इन और मजबूत हाइब्रिड कारों पर पंजीकरण शुल्क पर छूट को रद करने की कोई योजना नहीं है। मालूम हो कि पांच जुलाई को प्रदेश सरकार ने प्लग-इन हाइब्रिड कारों पर 8-10 फीसदी रजिस्ट्रेशन टैक्स माफ करने का आदेश जारी किया था। इससे इन कारों की ऑन-रोड कीमत 4 लाख रुपये तक कम हो गई थी।
रविवार की बैठक में आठ कंपनियों टाटा मोटर्स, हुंडई, किआ, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी, टोयोटा, होंडा और बजाज के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया सूत्रों के मुताबिक वाहन कंपनियों को बताया गया कि प्लग-इन और हाइब्रिड कारों को दिए गए प्रोत्साहन का उद्देश्य आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाहनों को बदलना है न कि इलेक्ट्रिक कारों को। एक वाहन कंपनी अधिकारी के मुताबिक पंजीकरण शुल्क पर छूट हाइब्रिड और ईवी के लिए अलग हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान टाटा मोटर्स, हुंडई, किआ और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने पांच जुलाई के आदेश का विरोध किया और दलील दी कि यूपी भारत का सबसे बड़ा कार बाजार है। यूपी को ईवी वाहनों को ज्यादा राहत देना चाहिए। केवल हाईब्रिड वाहनों को छूट देने से इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट पर गंभीर असर पड़ेगा। इन कंपनियों ने सुझाव दिया कि पांच जुलाई के आदेश को हाइब्रिड सहित सभी ग्रीन प्रौद्योगिकियों तक बढ़ा दिया जाए। एक वाहन कंपनी के अधिकारी के मुताबिक मुख्य सचिव ने कहा कि यूपी की ईवी नीति पेट्रोल और डीजल वाहनों को बदलने के लिए हाइब्रिड और ईवी दोनों वाहनों बढ़ावा देने के लिए है। इस पर फोकस करते हुए कहा कि यूपी की ईवी नीति हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों दोनों का समर्थन करेगी।