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एमपी: दुर्लभ वन्यप्राणी पेंगोलिन की तस्करी में शामिल आरोपी को दबोचा

मध्य प्रदेश स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) को बड़ी सफलता मिली है। उसने दुर्लभ वन्यप्राणी पेंगोलिन की तस्करी के मामले में एक साल से फरार आरोपी प्रहलाद सिंह को गिरफ्तार किया है। इस मामले में सात आरोपियों को एसटीएसएफ पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जानकारी के अनुसार एसटीएसएफ की क्षेत्रीय इकाई जबलपुर एवं वनमंडल कटनी को मुखबिर से आरोपी के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर कटनी के ग्राम मनहेर निवासी प्रहलाद सिंह पिता बहादुर सिंह को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में सात आरोपियों को पहले ही पकड़ा जा चुका है। आरोप के खिलाफ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धाराओं में केस दर्ज किया था। आरोपी एक साल तीन माह से फरार था, जिसको पकड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे। अब आरोपी को पकड़ने में सफलता मिली है।

अंतरराज्यीय एवं अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश
बता दें, एसटीएसएफ ने दुर्लभ प्रजाति के वन्यप्राणी पेंगोलिन के अवयवों की तस्करी के अंतरराज्यीय एवं अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। इसमें 198 आरोपियों को देश के 15 राज्यों से गिरफ्तार किया जा चुका है। इंटरपोल ने पेगोंलिन को विश्व में सबसे ज्यादा तस्करी किया जाने वाला स्तनपायी जीव कहा है। वन्यप्राणी पेंगोलिन के अवयवों की तस्करी एशिया व अफ्रीका के कई देश में की जाती हैं। इसकी मांग मुख्यतः चीन, म्यानमार, थाईलैंड, मलेशिया, हांगकांग, वियतनाम आदि देशों में है।

इसलिए हो रही पेंगोलिन की तस्करी
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के मुताबिक, दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है। यह एक ऐसा जानवर है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक हो रही है। खासतौर पर चीन में इस जानवर का अधिक डिमांड है। क्योंकि इसकी खाल और मांस से पारंपरिक दवाईयां बनाई जा रही हैं। हर दवा का उपयोग अलग बीमारी के लिए होता है। पैंगोलिन के स्केल्स यानी शरीर की ऊपरी कड़ी परत से बनने वाली दवाएं चॉकलेट के बार की तरह दिखती हैं, लेकिन काफी कठोर होती हैं। इसे गर्म पानी या अल्कोहल में घोलकर पिया जाता है। इसके मांस की भी खूब डिमांड होती है।

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