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समुद्र के सिकंदर से थर-थर कांपेंगे दुश्मन! आ रहा है राफेल मरीन

पाकिस्तान और चीन की नींद उड़ाने के लिए भारतीय नौसोना अपनी ताकत लगातार बढ़ा रही है। 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 26 राफेल मरीन जेट  खरीदने के लिए भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच 30 मई से वार्ता शुरू होगी। इस वार्ता के लिए फ्रांस का उच्चस्तरीय दल भारत आएगा। आइए समझते हैं कि राफेल-एम की क्या ऐसी खासियत है।

क्या है राफेल एम की खासियत?

  • राफेल मरीन फाइटर जेट को समुद्री क्षेत्र में हवाई हमले के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है।
  • इस विमान की तैनाती आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य पर होगी।
  • राफेल एम को एयरक्राफ्ट कैरियर्स (aircraft carrier) पर लैंडिंग के हिसाब से डिजाइन किया गया है।
  • राफेल मरीन का साइज वायुसेना वाले राफेल से छोटा है।
  • इस विमान के विंग फोल्डेबल है। बता दें कि वायुसेना के मिली राफेल विमान के विंग मुड़ नहीं सकते।
  • इस विमान का भी निर्माण दसॉल्ट एविएशन ने ही किया है।
  • यह सिंगल सीटर फाइटर जेट है।
  • यह विमान समुद्र की गहराई में भी हमला करने में सक्षम है।
  • इस विमान की लंबाई 15.30 मीटर, चौड़ाई 10.90 मीटर और ऊंचाई 5.30 मीटर है।
  • विमान का वजन 10,500 किलोग्राम है।
  • विमान की रफ्तार की बात करें तो 1389 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से विमान उड़ने की काबिलियत रखता है। वहीं ये 50 हजार फीट की ऊंचाई को छू सकता है।

एफ-16 और जे-20 से बेहतर है राफेल-एम

राफेल-M एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। ये विमान पाकिस्तान के पास मौजूद F-16 या चीन के पास मौजूद J-20 से काफी हद तक बेहतर है। विमान का काम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। वायुसेना वाले राफेल की तरह इस विमान में भी हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता होती है।

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