भारत में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से बेहतर हो गया है। ‘इलनेस’से ‘वेलनस’ की यात्रा में यह बड़ी उपलब्धि है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण से संबंधित संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता ने कहा, स्वास्थ्य और स्वच्छता में निवेश सिर्फ नैतिक अनिवार्यता नहीं है, बल्कि यह आर्थिक आवश्यकता भी है।
डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार एक हजार की जनसंख्या पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत ने 900 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर के अनुपात के साथ इस मानक से बेहतर प्रदर्शन किया है।
स्वास्थ्य-स्वच्छता के स्तंभ पर समृद्ध समाज का निर्माण
कलिता ने ‘इलनेस’ से ‘वेलनस’ पर एक कार्यक्रम में कहा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के स्तंभ पर समृद्ध समाज का निर्माण होता है। यात्रा कठिन लेकिन प्रेरणादायक रही है।
पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई
उन्होंने कहा कि संक्रामक रोगों से लड़ने से लेकर स्वास्थ्य देखभाल तक देश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। पिछले दशक में हमने देखा है मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। सरकार की विभिन्न पहलों और कार्यक्रमों ने समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया है। सरकार ने मेडिकल कालेजों की संख्या में वृद्धि की है।
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