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मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के अर्घ्य में शामिल करें ये चीजें

मकर संक्रांति का पर्व देशभर के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और भगवान सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।

मकर संक्रांति का पर्व देशभर के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और भगवान सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।

मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से साधक की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव के अर्घ्य में कुछ विशेष चीजों को शामिल करने से साधक को जीवन में सफलता हासिल होती है। चलिए जानते हैं सूर्य देव के अर्घ्य में किन चीजों को शामिल करना शुभ होता है ।

सूर्य देव के अर्घ्य में शामिल करें ये चीजें

मकर संक्रांति के दिन सुबह उठे और अपने इष्ट देवी-देवता और सूर्य देव के ध्यान से दिन की शुरुआत करें। अब स्नान कर और साफ वस्त्र धारण करने के बाद तांबे के पात्र में जल लें, इसमें लाल फूल, गंगाजल और कुमकुम डालकर विधिपूर्वक सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद आसन पर बैठकर सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें।

‘ॐ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् ।।’

मकर संक्रांति 2024 डेट और शुभ मुहूर्त

प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को है। इस वर्ष ग्रहों की दिशा में बदलाव की वजह से मकर संक्रांति की तिथि में परिवर्तन हुआ है।

मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 7 मिनट से सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक है। इसके अलावा पुण्यकाल में मकर संक्रांति की पूजा-अर्चना करना बेहद फलदायी होता है। इस दिन पुण्यकाल का समय सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शाम 6 बजकर 21 मिनट तक है। महा पुण्यकाल दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक है।

भगवान सूर्यदेव के मंत्र

1.एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

2. ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।

3. शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।”

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