प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 12 जनवरी को अटल सेतु का लोकार्पण करेंगे। पीएम मोदी ने ही दिसंबर 2016 में इस पुल की आधारशिला रखी थी। पहले इस पुल का नाम मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक (MTHL) था, जिसे बदलकर ‘अटल बिहारी वाजपेयी सेवरी-न्हावा शेवा अटल सेतु’ कर दिया गया है।
अटल सेतु की खास बातें
- अटल सेतु लगभग 21.8 किलोमीटर लंबा छह लेन का समुद्री पुल है। यह देश का सबसे बड़ा समुद्री ओवर ब्रिज है।
- इसकी लंबाई समुद्र के ऊपर लगभग साढ़े 16 किलोमीटर और जमीन पर साढ़े 5 किलोमीटर है।
- भारत के सबसे लंबे समुद्री पुल को बनाने में 17,840 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है।
- इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें एफिल टावर की तुलना में 17 गुना अधिक स्टील लगा है।
- कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से चार गुना स्टील लगा है।
- इसमें जो कंक्रीट इस्तेमाल हुआ है, वह अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से छह गुना ज्यादा है।
- अटल सेतु इतना मजबूत है कि इस पर भूकंप, उच्च ज्वार और तेज हवाओं के दबाव को कोई असर नहीं होगा।
- इसका निर्माण एपॉक्सी-स्ट्रैंड्स वाले विशेष मैटेरियल से किया गया है, जिनका उपयोग परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए किया जाता है।
- पुल का 16.5 किलोमीटर हिस्सा समुद्र के ऊपर, जबकि 5.5 किलोमीटर हिस्सा जमीन के ऊपर निर्मित है।
- यह ब्रिज मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ेगा। जिससे दो घंटे का रास्ता सिर्फ 15 मिनट में पूरा हो जाएगा।
- इसके शुरू होते ही पुणे, गोवा और दक्षिण भारत का सफर आसान हो जाएगा।
- पुल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले 190 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
- यह विश्व का 12वां सबसे लंबा पुल है।
- 6 लेन होने के कारण पुल पर रोजाना करीब 70 हजार से अधिक गाड़ियां चल सकेंगी।
- पुल पर 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां फर्राटा भर सकेंगीं।
- पुल के निर्माण में लगभग 177,903 मीट्रिक टन स्टील और 504,253 मीट्रिक टन सीमेंट का उपयोग किया गया है।
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