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देव दीपावली पर करें विष्णु चालीसा का पाठ,घर आएंगी मां लक्ष्मी…

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो जातक इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा- अर्चना करते हैं उनके जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है। मान्यता है कि कार्तिक का पूरा महीना श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में इस महीने विष्णु चालीसा का पाठ बेहद फलदायी माना गया है।

देव दीपावली का दिन हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा का विधान है। इस साल देव दिवाली 26 नवंबर 2023 यानी आज मनाई जा रही है। इस दिन का शास्त्रों में खास महत्व है। ऐसा माना जाता है, जो साधक इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा- अर्चना करते हैं उनके जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक का पूरा महीना श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में इस महीने विष्णु चालीसा का पाठ बेहद शुभकारी माना गया है।

”विष्णु चालीसा”

॥दोहा॥

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

॥चौपाई॥

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

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