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आइए ट्रेन के डिब्बों के रिटायरमेंट से जुड़ी बातें जानते हैं-

रेलवे से जुड़ी कई बातों के बारे में हम नहीं जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि एक उम्र के बाद ट्रेनों को रिटायर कर दिया जाता है। आइए जानते हैं कि इसके नियम क्या हैं और ये किस आधार पर तय होता है।

भारतीय रेलवे (Indian Railway) एशिया का दूसरा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। देश में रोज लगभग 23 मिलियन यात्री ट्रेन से सफर करते हैं। पैसेंजर ट्रेनों में कई तरह के कोच होते हैं, जैसे- एसी, जनरल और स्लीपर आदि। आइए जानते हैं कि ये ट्रेन के कोच कब रिटायर होते हैं?

ट्रेन रिटायर कब होती है?

भारतीय रेलवे में यात्रियों को सेवा देने वाले ICF कोच की कोडल लाइफ 25 से 30 साल की होती है। यानी कि एक कोच 20-30 साल तक ही सर्विस में रहता है। हालांकि, इस दौरान पैसेंजर कोच को हर 5 या 10 साल में एक बार रिपेयर या मेंटेनेंस किया जाता है। 25 साल तक सर्विस के बाद उस कोच को रिटायर कर दिया जाता है। रिटायर कोच को ऑटो कैरियर में बदल दिया जाता है।

रिटायरमेंट के बाद ट्रेन का क्या होता है?

ऑटो कैरियर में बदलने के बाद ट्रेनों को NMG कोच में बदल दिया जाता है। जब कोच को NMG कोच में बदला जाता है, तब उसे 5 से 10 साल तक और इस्तेमाल किया जाता है। इन ट्रेनों के माध्यम से एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई की जाती है। जब पैसेंजर कोच को NMG कोच में बदला जाता है, तब उसे चारों तरफ से सील कर दिया जाता है। कोच में मौजूद सीट, पंखे, लाइट सब को खोलकर हटा दिया जाता है। इसे और मजबूत बनाने के लिए लोहे की पट्टियों को लगाया जाता है, ताकि वो सर्विस के समय अच्छे से काम में आए।

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