डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत प्रतिदिन बदलती है। इस रेट के मुताबिक ही अंतरराष्ट्रीय कारोबार होता है। इसमें लगातार उतार-चढ़ाव फॉरेन एक्सचेंज मार्केट के कारण होता है। डॉलर और रुपये की वैल्यू में प्रतिदिन होने वाले बदलाव को समझने के लिए हमें फॉरेन एक्सचेंज मार्केट के कॉन्सेप्ट को समझना होगा। आइए जानते हैं।

क्या होता है फॉरेन एक्सचेंज मार्केट?
फॉरेन एक्सचेंज मार्केट एक जगह जहां पर दुनिया की सभी अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के बीच कारोबार होता है। हर मुद्रा किसी मुद्रा के मुकाबले निश्चित रेट पर कारोबार करती है। इसे एक्सचेंज रेट कहा जाता है। इसमें प्रतिदिन बदलाव होता है।
एक्सचेंज रेट कैसे तय होता है?
दुनिया के लगभग सभी देशों की करेंसी की वैल्यू फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट से तय की जाती है। यह किसी करेंसी की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जिस करेंसी की मांग अधिक होती है उसकी वैल्यू अधिक होगी। वहीं, जिसकी मांग कम होगी उसकी वैल्यू कम होगी।
उदाहरण के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 82 के आसपास चल रही है। जब भी अमेरिकी डॉलर की मजबूती दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स गिरता है तो रुपये की कीमत बढ़ जाती है।
उतार-चढ़ाव पर होता है नियंत्रण
एक्सचेंज रेट्स को सभी देश अपने नियत्रंण में रखने की कोशिश करते हैं। जैसे जब भी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में तेज गिरावट आती है तो आरबीआई अपने रिजर्व में मौजूद फॉरेक्स या अमेरिकी डॉलर के भंडार में से कुछ हिस्सा बिक्री करता है, जिससे कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत एक दायरे में रहे।
सभी देश के केंद्रीय बैंकों के पास विदेशी मुद्रा भंडार होता है, जिसमें डॉलर, पाउंड और यूरो जैसी बड़ी मुद्राओं के साथ गोल्ड और बॉन्ड भी शामिल होते हैं।
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