हृदय रोगों का जोखिम आमतौर व्यस्क और बूढ़े लोगों में अधिक देखने को मिलता है। लेकिन आजकल हम देखते हैं कि बच्चों और किशोरों में भी हृदय रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, बच्चों में हृदय रोगों के लिए पारिवारिक इतिहास बहुत मायने रखता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि जिन बच्चों के माता-पिता को हृदय रोग थे, उनके बच्चों भी इसके मामले देखने को मिलते हैं। यह भी देखा जाता है, कि कुछ बच्चों में जन्मजात हृदय रोग की समस्या देखने को मिलती है। वे जन्म के समय ही हृदय दोषों के साथ पैदा होते हैं। हालांकि यह दोष आसानी से ठीक हो जाते हैं, लेकिन भविष्य में खराब खानपान और जीवनशैली की आदतें जोखिम को फिर से बढ़ा सकते हैं। भविष्य में यह हार्ट अटैक, फेलियर और स्ट्रोक आदि का कारण भी बन सकते हैं।
अच्छी बात है कि समय बच्चों में हृदय रोगों का जोखिम बढ़ने पर कई संकेत और लक्षण देखने को मिलते हैं, जिन्हें पहचान कर अगर आप समय रहते बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाते हैं तो इनके जोखिम को किया जा सकता है। अल सवाल यह उठता है कि बच्चों में हृदय रोग होने पर क्या संकेत और लक्षण देखने को मिलते हैं? इस लेख में हम आपको 5 लक्षण बता रहे हैं।
बच्चों में हृदय रोग के लक्षण-
बच्चों में हृदय रोग के संकेतों को पहचानना कोई सरल कार्य नहीं है, क्योंकि आमतौर बच्चे देखने में पूरी तरह स्वस्थ दिखते हैं। जिसकी वजह से माता-पिता को अक्सर इसके बारे में पता नहीं चल पाता है। हालांकि कुछ समस्याएं बहुत आम हैं, जो आमतौर पर देखने को मिलती हैं जैसे…
- सायनोसिस की स्थिति, जिसमें बच्चे के होठों के आसपान की त्वची नीली पड़ने लगती है
- सांस लेने में परेशानी होती है
- उनका विकास ठीक से नहीं होता है
- त्वचा पीली पड़ने लगती है
- बहुत थकान महसूस होती है
- शरीर में सूजन देखने को मिलती है, खासकर पैर, पेट या आंखों के आस-पास
- भोजन के समय सांस लेने में परेशानी होती है, जिसके कारण वजन कम होता है
- खेल-कूद के दौरान सांस फूलना, बेहोशी
इस तरह के लक्षण आमतौर पर शरीर में ऑक्सीजन ठीक से सप्लाई न होने के कारण देखने को मिलते हैं। चूंकि, हृदय रक्त ठीक से पंप नहीं करता है, इसलिए रक्त में ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं मिल पाती है।
डॉक्टर को कब दिखाना है
अगर आप अपने बच्चे में उपरोक्त समस्याएं नोटिस करते हैं, तो ऐसे में आपको समय व्यर्थ न करते हुए सीधे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। जिससे कि वे हृदय रोग का निदान और पुष्टि कर सकें। हालांकि घबराने जैसी कोई बात नहीं है, अगर आप समय रहते बच्चे को सही उपचार मिलता है, तो इससे बच्चो को गंभीर नुकसान से बचाया जा सकता है। डॉक्टर हृदय रोग के निदान के लिए कुछ टेस्ट का सुझाव दे सकता है। उसके बाद आपकी बच्चे की स्थिति के अनुसार कुछ दवांए, खानपान और जीवनशैली बदलाव का सुझाव भी दे सकता है।