छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुरूर ब्लॉक में चिकनपॉक्स से हड़कंप मच गया है। गुरुर के चंदनबिरही गांव में 45 बच्चों के साथ गांव के 49 लोग चिकनपॉक्स का शिकार हो गए हैं। इन सभी पीड़ितों को बुखार, खुजली, सर्दी और शरीर में लाल दाने की शिकायत है। स्वास्थ्य विभाग गांव में शिविर लगाकर पीड़ितों का इलाज कर रहा है और साथ ही संक्रमण न फैले इसके लिए एक-दूसरे से दूर रहने की सलाह दे रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जेएल उईके ने बताया कि चिकनपॉक्स को छोटे चेचक के नाम से भी जाना जाता है।
हालात को काबू पाने के लिए 14 जनवरी तक गांव के सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लोगों को इसके लिए जागरुक कर रही है। जानकारी के मुताबिक इन पीड़ितों में 18 वर्ष से अधिक के केवल तीन लोग हैं। यह संक्रमण एक से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में अधिक पाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सप्ताहभर में इस पर काफी काबू पा लिया जाएगा और घबारने की कोई बात नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप
अचानक चिकनपॉक्स के 49 मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। एहतियातन डॉक्टरों की कई टीमें गठित की गई है जो घर-घर जाकर बच्चों की जांच कर रहा है क्योंकि चिकनपॉक्स एक संक्रमित बीमारी है। सभी ग्रामिणों को सलाह दी जा रही है कि वे सावधान रहे और फूंक-फूंक कर कदम रखें।
चिकनपॉक्स के कारण
चिकनपॉक्स को छोटा चेचक के नाम से भी जाना जाता है। इसका संक्रमण 1 से 10 वर्ष तक के बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। दरअसल, यदि कोई लंबे समय से बीमार रहता है तो यह इंफेक्शन हो जाता है। इसका मुख्य कारण खानपान में असावधानी होती है, जैसे दूषित भोजन या पानी का सेवन करने या कोई भी खुला खाद्य पदार्थ खाने से इस बीमारी के आसार बढ़ जाते हैं। साथ ही ज्यादा सर्दी या गर्मी होने पर भी बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना लेती है। फिलाहल, यह संक्रमण इसलिए फैल रहा है क्योंकि अधिक ठंड होने के कारण हवा में मौजूद बेरीसेला वायरस सक्रिय हो जाते हैं, जो बच्चों को प्रभावित करता है।
चिकनपॉक्स से बचाव के कारण
- चिकनपॉक्स से बचने के लिए सबसे जरूरी होता है कि लोग अपने खान-पान का ध्यान रखें।
- खुले में रखे खाद्य पदार्थ बिल्कुल का सेवन करने से बचें।
- चिकनपॉक्स संक्रमित बीमारी होती है जिसके लिए हमें किसी भी पीड़ित से दूरी बनाकर रखना चाहिए।
- पीड़ित बच्चों को स्कूल न भेजें।
- शरीर में चिकनपॉक्स के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न लें।
- ठंड में बच्चों को ज्यादा सुरक्षित रखें क्योंकि ठंडी हवा में इस बीमारी का वायरस ज्यादा सक्रिय हो जाता है।
- समय से चिकनपॉक्स के इलाज के लिए दवाइयां और वैक्सीन लगवा लें।