उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। सबसे खराब स्थिति ऊधमसिंहनगर जिले के रुद्रपुर और काशीपुर की है। यहां के प्रमुख चौराहों में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण है। देहरादून में सर्वे चौक और दून अस्पताल के पास सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर दर्ज ताजा आंकड़ों से यह तस्वीर सामने आईहैं।
उत्तराखंड में सुबह छह से रात दस बजे तक किसी भी जोन में अधिकतम ध्वनि सीमा 75 डेसिबल तय है। जबकि रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक अधिकतम 70 डेसिबल है। अधिकतम ध्वनि सीमा औद्योगिक क्षेत्र या जोन के लिए तय है। इस वर्ष अगस्त में बोर्ड की ओर से लिए गए ध्वनि के आंकड़ों में रुद्रपुर के डीडी चौक में औसत ध्वनि लेवल 89.15 डेसिबल रिकॉर्ड किया गया।
यहां औद्योगिक क्षेत्र की अधिकतम सीमा से भी 14.15 डेसिबल अधिक ध्वनि रिकॉर्ड की गई। इसी कैटेगिरी में काशीपुर के एमपी चौक में भी औसत ध्वनि लेवल 88.9 डेसिबल रिकॉर्ड किया गया।
देहरादून और हरिद्वार का हाल
देहरादून और हरिद्वार की स्थिति भी चिंताजनक है। देहरादून में सर्वे चौक पर 80.45 और दून हॉस्पिटल के पास 78.52 डेसिबल औसत ध्वनि लेवल दर्ज किया गया है। जबकि दून हॉस्पिटल शांत क्षेत्र या जोन में आता है और यहां ध्वनि का अधिकतम लेवल सुबह छह से रात दस बजे तक महज 50 और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक अधिकतम 40 होना चाहिए। सिडकुल हरिद्वार में औसत अधिकतम ध्वनि लेवल 75.35 और ऋषिकेश चौक हरिद्वार में 75.71 डेसिबल है।
किसी भी स्थल पर अधिकतम व न्यूनतम ध्वनि लेवल के आधार पर औसत ध्वनि लेवल लिया जाता है। ध्वनि का नमूना किस क्षेत्र से और किस समय लिया गया है, इसके आधार पर अधिकतम और न्यूनतम लेवल मानक से अधिक है या कम है, यह तय होता है। काशीपुर में एमपी चौक और रुद्रपुर में डीडी चौक में अधिकतम मानकों से ऊपर ध्वनि का लेवल दर्ज किया गया।
नरेश गोस्वामी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ऊधमसिंहनगर