Thursday , October 31 2024

यहां जानिए रक्षाबंधन और भाईदूज में क्या है अंतर..

 भााई-बहन का त्योहार ‘भाई दूज’ आज बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और आरती कर मिठाई खिलाती हैं। साल में भाई-बहन के दो त्योहार आते हैं, रक्षाबंधन और भाई दूज। हालांकि दोनों त्योहार मनाने के पीछे एक ही कारण है- बहनें, भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं और भाई, बहन की रक्षा के लिए वचन देते हैं। लेकिन इन त्योहारों को मनाने का तरीका अलग-अलग है। आइए बताते हैं, रक्षाबंधन और भाई दूज में क्या अंतर है?

रक्षाबंधन और भाई दूज में क्या है अंतर ?

– हिंदू धर्म के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, तो वहीं भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।

– माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण, इंद्र देव और राजा बली ने रक्षाबंधन की शुरुआत की थी। युद्ध में जाने से पहले बहनों ने राखी बांधकर उनकी जीत की कामना की थी। तो, वहीं भाई दूज की शुरुआत यमराज द्वारा हुई थी। यही कारण है कि भाई दूज को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान करें, तो यह काफी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन यमुना में स्नान करते हैं, उन्हें यमलोक में यमराज द्वारा कोई पीड़ा नहीं मिलती।

अगर बहन विवाहित है, तो वह रक्षाबंधन के दिन भाई के घर जाकर ये त्योहार मनाती है, तो वहीं भाई दूज के दिन भाई अपने विवाहित बहन के घर जाता है, और वहां वो दोनों साथ में ये त्योहार मनाते हैं।

-रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। इसके बाद मिठाई खिलाती हैं। भाई दूज की बात करें, तो इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर आरती करती हैं और उनके लिए मनपसंद खाना बनाती हैं। भाई दूज के दिन बहनें भाई को खाना खिलाने के बाद उन्हें पान खाने को भी देती हैं। ऐस करने से उनका भाग्य खुलता है।

 रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों ही त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के लिए समर्पित हैं। हालांकि इन दोनों त्योहारों में कुछ अंतर भी हैं। आइए जानते हैं भाई-बहन के ये दोनों त्योहार किस तरह अलग हैं।

 भाई दूज को देश के अलग-अलग हिस्सों में कई नाम से जाना जाता है। बता दें कि बंगाल में इस त्योहार को ‘भाई फोटो’ कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘भाऊ बीज’ के नाम से जाना जाता है,तो वहीं मिथिला में इसे ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जानते है।

– श्रावण मास की पूर्णिमा को देश के कई प्रांतों में रक्षाबंधन के रूप में नहीं मनाया जाता है। लेकिन भाई दूज का नाम अलग-अलग है, मगर ये त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सो में भी भाई-बहन के रिश्ते के रूप में ही मनाया जाता है। जैसे- कर्नाटक में ‘रक्षाबंधन’ नारियल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com