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पैथोलॉजी लैब में जांच के नाम पर मरीजों की जिंदगी से हो रहा खेल

उत्तराखंड में फर्जी पैथोलॉजी लैबों के जरिए लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। राज्य में महज 2200 लैब पैथोलॉजी जांच के लिए अधिकृत हैं जबकि प्रदेशभर में करीब पांच हजार लैब व कलेक्शन सेंटर लोगों के सैंपलों की जांच कर रही हैं। खास बात ये है कि कुछ जगह कलेक्शन सेंटर भी लैब की तरह काम कर रहे हैं।

यहां मरीजों के खून की जांच सस्ते में करने का दावा किया जा रहा है। बिना पंजीकरण के संचालित लैब या कलेक्शन सेंटर पर की जा रही सस्ती जांचें कहीं मरीजों को महंगी न पड़ जाए? उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल की एथिक्स कमेटी ने सभी सीएमओ से ऐसी लैबों की जांच करने को कहा है।  राज्य में पैथोलॉजी लैब के लिए क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट ऐक्ट के तहत पंजीकरण जरूरी है।

उस लैब में कार्यरत डॉक्टर का उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल और टेक्नीशियनों  का उत्तराखंड पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य है। पर राज्य में बड़ी संख्या में पैथोलॉजी लैब और ब्लड कलेक्शन सेंटर ऐसे हैं जहां मानकों का पालन नहीं हो रहा। न तो उनका ऐक्ट में पंजीकरण है और न ही वहां कार्यरत डॉक्टरों और टेक्नीशियनों का वैध पंजीकरण है। ऐसे में इन लैबों और कलेक्शन सेंटरों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

एक डॉक्टर के साइन से कई की रिपोर्ट  
उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने नियम बनाया है कि राज्य का कोई भी पैथोलॉजिस्ट दो से अधिक लैब की रिपोर्ट साइन नहीं कर सकता। लेकिन इसमें भी बड़ा घालमेल चल रहा है। एक ही डॉक्टर के डिजिटल साइन से कई लैब की रिपोर्ट साइन हो रही है। काउंसिल की ओर से इस संदर्भ में नियम तो बनाए गए हैं लेकिन सख्ती न होने की वजह से मनमानी पर लगाम नहीं लग पा रही है। 

सस्ते के लालच में फंस रहे लोग 
राज्य में बिना पंजीकरण के संचालित इन लैब में लोगों को चालीस से पचास प्रतिशत तक को डिस्काउंट दिया जा रहा है। लोग सस्ते के लालच में यहां जांच करा रहे हैं। लेकिन रिपोर्ट सही है या गलत, इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल है। स्वास्थ्य विभाग इन लैबों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है।

राजधानी देहरादून में ही 104 पैथोलॉजी लैब बिना पंजीकरण के चल रही हैं। इस संदर्भ में शिकायत मिलने पर सीएमओ को जांच के लिए पत्र लिखा है। अन्य सीएमओ को भी लैब की जांच करने को कहा गया है। राज्य में बड़ी संख्या में बिना मानकों के पैथोलॉजी लैब संचालित होने की आशंका है। 

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