यूपी, दिल्ली सहित देशभर से उत्तराखंड आने वाले तीर्थ यात्रियों को जोर का झटका धीरे से लगने वाला है। ऐसे में कई किलोमीटर का सफर तय करने के बाद भी उनकी मुराद पूरी नहीं हो सकेगी। चैत्र अमावस्या स्नान पर्व पर हरिद्वार हरकी पैड़ी में गंगा में डुबकी लगाने लायक जल नहीं मिला। इस कारण कई श्रद्धालुओं को निराशा का सामना करना पड़ा।
निचले इलाकों में पानी की डिमांड न होने के कारण अचानक गंगनहर को बंद किया गया, जिससे हरकी पैड़ी पर एक से डेढ़ फिट ही जल रह गया। हालांकि शाम को जल की मात्रा बढ़ाने से तीन से चार फिट तक जल हरकी पैड़ी पर आ गया। मंगलवार को चैत्र कृष्ण पक्ष का अमावस्या का स्नान सम्पन्न हुआ। बारिश के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ देशभर से हरिद्वार पहुंची।
लेकिन गंगा में कम जल होने से श्रद्धालु डुबकी नहीं लगा सके। लोटे आदि से स्नान करना पड़ा। इसके बाद श्रद्धालुओं ने पितरों के निमित तर्पण कर लोककल्याण की कामना करते हुए दान पुण्य किया। बारिश के बीच सुबह पांच बजे गंगा घाटों पर स्नान का सिलसिला शुरू हुआ, जो दोपहर बाद तक चलता रहा। मान्यता है कि इस दिन पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं।
स्नान पर्व पर उत्तर प्रदेश, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से श्रद्धालु यहां पहुंचे, उन्होंने पवित्र ब्रह्मकुंड समेत हरकी पैड़ी के अन्य गंगा घाटों पर स्नान कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना की। तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित ने बताया कि चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है। धन, धान्य और ऐश्वर्य की कामना को लेकर श्रद्धालु गंगा स्नान करने पहुंचते हैं।
क्या बोले यात्री
बदायूं यूपी निवासी रामबाबू ने बताया कि पितरों का तर्पण करने हरिद्वार पहुंचे हैं, स्नान करने आए तो देखा कि गंगा में काफी कम जल है। यह पहला मौका है, जब अमावस्या के दिन उन्हें गंगा में जल कम दिखाई दिया। लखनऊ यूपी निवासी कृष्णा दास ने बताया कि परिवार और माता पिता को गंगा स्नान के लिएआए थे। जल कम होने के कारण दूध बेचने वालों से लोटा लेकर स्नान करना पड़ा। यूपी कानपुर के रहने वाले सुरेश कुमार भी गंगा घाटों में जल नहीं होने से मायूस दिखे।
मांग न होने पर रोका जल
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने मंगलवार को ऊपरी खंड गंग नहर को बंद कर दिया। उच्च स्तर से टेलीग्राम प्राप्त होने पर निचले क्षेत्रों में जल की निकासी बंद कर दी गई। पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण मुजफ्फरनगर, मेरठ आदि निचले इलाकों में सिचांई के लिए पानी की मांग नहीं है। किसानों के खेत पानी से भरे हुए हैं। साथ ही गंगनहर से अतिरिक्त पानी किसानों के खेतों में पहुंच रहा है। किसानों के आग्रह के बाद गंगनहर को बंद किया गया है। सिंचाई के लिए पानी की मांग होने पर गंगनहर को दोबारा खोला जाएगा।
एक फिट जल रह गया था हरकी पैड़ी पर
अमूमन हरकी पैड़ी पर चार फिट से अधिक गंगा जल रहता है, लेकिन गंगनहर बंद करने के कारण भीमगोड़ा बैराज से आने वाली धारा में जल ही नहीं था। जिस कारण एक फिट जल हरकी पैड़ी पर नजर आया।हरकी पैड़ी पर जल स्तर निर्धारित मात्रा में रखा जाएगा। गंगनहर बंद होने से हरकी पैड़ी में जल की मात्रा थोड़ी कम हो गई थी। शाम को हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं को पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराया गया।