Thursday , December 26 2024

प्रेगनेंसी में कुछ महिलाओं को फैटी लिवर की परेशानी हो जाती है, जानें इसके इलाज के बारे में-

प्रेगनेंसी में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस समय कई महिलाओं को मानसिक समस्याओं के साथ ही कुछ गंभीर रोगों का भी सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी में फैटी लिवर की समस्या भी हो जाती है। इस समस्या का मुख्य कारण अनहेल्दी आहारों को डाइट में शामिल करना होता है। इससे लेबर व डिलीवरी के समय भी कई अन्य जोखिम हो सकते हैं। यदि महिलाएं इस समस्या को अनदेखी करती हैं तो उनको लिवर की अन्य रोग हो सकते हैं। लेकिन सही समय पर इलाज करने से फैटी लिवर की समस्या को कम किया जा सकता है। इस लेख में प्रेगनेंसी में फैटी लिवर के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से बताया गया है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल (नई दिल्ली) के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुदीप खन्ना से इस रोग के बारे में विस्तार से जानें कि प्रेगनेंसी में फैटी लिवर होने पर क्या करें?  

प्रेगनेंसी में फैटी लिवर के कारण   

प्रेगनेंसी में महिलाओं को एक्यूट फैटी लिवर नामक रोग होने की संभावना होती है। वैसे तो इस रोग के मुख्य कारण मालूम नहीं है लेकिन कुछ स्टडी में इसे मेटाबॉलिक विकारों से जोड़कर देखा जाता है। जेनेटिक विकार की वजह से मेटाबॉलिक विकार व फीटल मैटरनल इंटरैक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस समस्या से भ्रूण को भी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।  

प्रेगनेंसी में फैटी लिवर होने पर क्या लक्षण महसूस होते हैं? 

प्रेगनेंसी के समय फैटी लिवर की समस्या होने पर महिलाओं को पेट दर्द, मतली उल्टी और थकान महसूस होती है। इसके अलावा भी महिलाओं को सिर दर्द व पीलिया हो सकता है।  

प्रेगनेंसी में फैटी लिवर का इलाज कैसे करें?  

प्रेनगेंसी में फैटी लिवर दो रोगों के कारण होता है। इसमे से एक है एक्यूट फैटी लिवर ऑफ प्रेगनेंसी, ये एक जालेवा बीमारी है। इसमें बच्चे की डिलीवरी कराकर मां की जान बचाई जा सकती है। ये गर्भाशय की एक दुर्लभ जटिल प्रक्रिया है। इसके अलावा दूसरे रोग में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFL) को शामिल किया जाता है, ये रोग मोटापे व जल्दी प्रेगनेंट होने की वजह से होता है।  

इन रोगों की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड, डिलीवरी फंक्शन टेस्ट और रक्त में मौजूद हार्मोन के अन्य स्तरों के आधार पर किया जाता है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर में महिलाओं को डायबिटीज व हाई बीपी के साथ ही फैटी लिवर से जुड़े अन्य रोगों के विकसित होने की संभावना होती है।  

प्रेगनेंसी में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर होने से डायबिटीज की संभावना होती है। ऐसे में जब बच्चा बड़ा होता है तो उसको भी फैटी लिवर विकसित होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही इस समस्या से मां को प्रीटर्म डिलीवरी व प्री एक्लेमप्सिया हो सकता है। 

फैटी लिवर का इलाज किस तरह से होता है  

जीवनशैली में बदलाव – डॉक्टर आपको जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देते हैं। जिससे फैटी लिवर के रोग को कम किया जा सकता है। इसमें शराब को तुरंत बंद करने, हेल्दी डाइट को लेने, वजन के कंट्रोल करने व रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।  

सर्जरी – एनएएफएलडी में मोटापा होने पर बैरीयेट्रिक सर्जरी की जाती है।  

लिवर ट्रांसप्लांट – लिवर फैलियर होने पर केवल लिवर ट्रांसप्लांट की एक मात्र विकल्प बचता है। ये एक जटिल प्रक्रिया है, जो डोनर पर निर्भर करती है। लिवर ट्रांसप्लांट से 6 महीने पहले से रोगी को शराब छोड़नी पड़ती है।  

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com