हाईकोर्ट नैनीताल ने प्लास्टिक को लेकर फिर सख्त रुख दिखाया है। अदालत ने सीमेंट फैक्ट्री एसोसिएशन और तीन अन्य कंपनियों का संशोधन प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। पत्र में सात जुलाई 2022 को दिए हाईकोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग की थी। अदालत ने पूर्व में आदेश दिया था कि उत्तराखंड में कार्यरत प्लास्टिक पैकेजिंग कंपनियां अपना ईपीआर प्लान सेंटर पोर्टल पर अपलोड करने के साथ ही 15 दिन के भीतर राज्य प्रदूषण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराएं।
सोमवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 20 फरवरी की तिथि नियत की है। सुनवाई में प्रार्थना पत्र के माध्यम से सोमवार को अदालत को बताया गया कि नियमावली को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
रजिस्ट्रेशन में छूट की मांग करते हुए कहा कि कई राज्यों में उनकी सीमेंट की इकाइयां हैं। उनका डेली डेटा ऑनलाइन अपलोड नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से उन्हें रजिस्ट्रेशन कराने में दिक्कतें आ रहीं हैं। दूसरी तरफ याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को उत्तराखंड हाईकोर्ट मानने के लिए बाध्य नहीं है।
सीमेंट की बोरियां पर्यावरण के लिए खतरनाक
कोर्ट ने कहा, सीमेंट की बोरियां प्लास्टिक रेशे से बनी होती हैं। जिसके रेशे नालियां चोक करते हैं। और इन बोरियों का उपयोग कर लोग मिट्टी व रेता भरकर दीवार बना रहे हैं। जो पर्यावरण के लिए और भी हानिकारक है।