महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद अब छत्रपति संभाजी महाराज पर विवाद होता नजर आ रहा है। इस मामले में राज्य के बड़े राजनीतिक घराने पवार परिवार की राय बंटी नजर आ रही है। एक ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भतीजे अजित पवार की बात काटकर प्रतिक्रिया दी है। वहीं, उनकी बेटी अजित के बचाव में उतरी हैं।

मंगलवार को शरद पवार ने कहा कि लोग संभाजी महाराज को ‘धर्मवीर’ या ‘स्वराज रक्षक’ कहने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज के निधन के बाद जब हर जगह हमले हो रहे थे, तब संभाजी महाराज ने राज्य की बहादुरी से रक्षा की। उन्होंने कहा, ‘संभाजी महाराज का योगदान बहुत बड़ा है, तो उसपर कभी भी बहस नहीं होनी चाहिए।’
अजित पवार ने क्या कहा
नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के नेता अजित ने कहा था, ‘हमने हमेशा छत्रपति संभाजी महाराज को स्वराज रक्षक के तौर पर बताया, लेकिन कुछ लोग उन्हें धर्मवीर बता रहे हैं। उन्हें धर्मवीर कहना सही नहीं है। संभाजी महाराज ने कभी भी विशेष धर्म का समर्थन नहीं किया। उनका बलिदान और काम राष्ट्रीय और समावेशी कल्याण के थे।’
शरद पवार के बेटी सुप्रिया सुले ने अजित का समर्थन किया है। इसके अलावा लोकसभा सांसद डॉक्टर अमोल कोल्हे ने भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के समर्थन की बात कही है। एनसीपी नेता ने कहा, ‘संभाजी महाराज ने कभी भी एक जाति और धर्म के लिए काम नहीं किया, बल्कि उनके काम सभी जातियों और धार्मिक लोगों के लिए थे। इसलिए उन्हें किसी एक धर्म में बांधना गलत होगा।’
भाजपा का विरोध
इधर, पुणे, नाशिक और नागपुर समेत कई जगहों पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने टिप्पणी को लेकर प्रदर्शन किया है। प्रदर्शनकारियों ने अजित पवार के खिलाफ नारे लगाए और नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने या माफी मांगने की बात कही। शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी छत्रपति ने कहा, ‘अजित पवार को यह साफ करना चाहिए कि उन्होंने किस संदर्भ में ऐसा बयान दिया। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि किसी भी ऐतिहासिक घटना पर बगैर पढ़े प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।’ उन्होंने अजित पवार के बयान को आधा सच बताया है।
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