कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में दो दिनों का ही वक्त बाकी है। मैदान में मौजूद केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे फिलहाल समर्थन जुटा रहे हैं। पार्टी की तरफ से जारी कार्यक्रम के अनुसार, 17 अक्टूबर को मतदान होगा और 19 अक्टूबर को मतगणना हो जाएगी। इसके साथ ही दो दशक से ज्यादा समय के बाद पार्टी को गैर-गांधी अध्यक्ष मिल जाएगा। अब समझते हैं कि आखिर इन नेताओं राज में पार्टी की तस्वीर कैसी नजर आएगी।

हालांकि, थरूर ने कहा है कि वह और खड़गे सहकर्मी और कोई भी जीते, लेकिन जीत पार्टी की होगी। इधर, खड़गे भी थरूर को अपना छोटा भाई बता रहे हैं और कह रहे हैं कि आपस में कोई मतभेद नहीं है।
अब वादों पर चर्चा
थरूर ने अपनी प्राथमिकताओं को लेकर घोषणापत्र जारी कर दिया है। जबकि, खड़गे एक सुर में उदयपुर घोषणापत्र लागू करने की बात पर जोर दे रहे हैं।
क्या कह रहे हैं खड़गे
वरिष्ठ नेता की तरफ से खास मेनिफेस्टो जारी नहीं किया है। वह कह रहे हैं कि एकमात्र एजेंडा उदयपुर डेक्लेरेशन को लागू करना है। कांग्रेस ने मई 2022 में राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर आयोजित किया था। दिग्गजों की तीन दिनों की चर्चाओं के दौरान पार्टी को लेकर रणनीति तैयार की गई थी। हालांकि, खड़गे ने वादा किया है कि वह चुनाव जीतने परे 50 साल से कम उम्र वालों को पार्टी के 50 फीसदी पद देंगे।
साथ ही वरिष्ठ नेता का यह भी कहना है कि वह सभी को साथ लेकर चलने में भरोसा रखते हैं। 80 वर्षीय नेता ने कहा कि वह किसानों, कर्मियों, एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और छोटे कारोबारियों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पीएसयू विनिवेष, बढ़ती बेरोजगारी, रुपये की गिरती कीमत, बढ़ती दरों और जरूरी सामान पर जीएसटी के खिलाफ भी लड़ेंगे।
क्या चाहते हैं थरूर
थरूर पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों के हिसाब से पार्टी में बदलाव का वादा कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि कांग्रेस को खासतौर से नेतृत्व स्तर पर नए चेहरों और युवाओं को शामिल कर दोबारा तैयार होने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों को असल अधिकार देने होंगे और जमीन से जुड़े लोगों को सशक्त करना होगा।
अपने मेनिफेस्टो में उन्होंने का कि कांग्रेस को फुल-टाइम प्रेसिडेंट की जरूरत है, जिसके पास सभी लोग पहुंच सके हैं। साथ ही उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों से 5 उपाध्यक्षों का सुझाव दिया है। खड़गे की ही तरह उदयपुर घोषणापत्र लागू करने का वादा किया है।
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