इस हार्मोन में होने वाले बदलाव पीरियड्स साइकिल और प्रेग्नेंसी पर तुरंत असर डालते हैं। जिसकी वजह से ओवरी में छोटी सिस्ट बन जाती है।
खाने पीने में लापरवाही और स्ट्रेस भरी लाइफस्टाइल की वजह से आजकल ज्यादातर महिलाएं पीसीओएस (पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) का शिकार बन रही हैं। दरअसल, पीसीओएस महिलाओं की ओवरी में होने वाला एक प्रकार का सिस्ट होता है। जो सेक्स हार्मोन में असंतुलन पैदा होने पर होता है। इस हार्मोन में होने वाले बदलाव पीरियड्स साइकिल और प्रेग्नेंसी पर तुरंत असर डालते हैं। जिसकी वजह से ओवरी में छोटी सिस्ट बन जाती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए महिला को अपने लाइफस्टाइल और हेल्दी खान-पान पर ध्यान देना होता है।
पीसीओएस के लक्षण-
-अनियमित मासिक चक्र, विलंबित चक्र।
-इस समस्या से पीड़ित लगभग 40-80 प्रतिशत महिलाएं अधिक वजन को कम करने में असमर्थता व्यक्त करती हैं।
-गर्भधारण करने में कठिनाई।
-पीसीओएस होने पर महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
-उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल।
-अवसाद, आत्मविश्वास की कमी और चिंता।
पीसीओएस में ऐसी रखें डाइट-
-पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं अपनी डाइट प्लान करते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि उन्हें अपने आहार में कोई भी ऐसी चीज शामिल नहीं करनी है जो पूरी तरह से पकी हुई नहीं हो। उदाहरण के लिए मछली को फ्राई करके नहीं बल्कि पकाकर खाएं।
-पीसीओएस में डाइट प्लान करते समय अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां और प्रोटीन जरूर शामिल करें।
-कोशिश करें कि भूखे नहीं रहें और जब भूख लग रही हो तब ही खाएं। ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें।
-हेल्दी कुकिंग ऑइल जैसे ऑलिव ऑइल और मस्टर्ड ऑइल में बनी सब्जियों का सेवन लाभदायक होगा।
-पीसीओएस से पीड़ित महिला को अपनी डाइट में हाई फाइबर फूड्स जैसे ओट्स, ब्राउन राइस और होलग्रेन को शामिल करना चाहिए।
-शुगर में कार्बोहाइड्रेट होता है जो कि पीसीओएस पेशेंट को अवॉयड करना चाहिए। शुगर को कुछ अलग नाम से जैसे कि सुक्रोज, हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप या फिर डेक्सट्रोज नाम से भी पुकारा जाता है। सोडा और जूस का सेवन करते समय भी इस बात का ध्यान जरूर रखें।
-अगर आप अपने वजन का 5 से 10 परसेंट भी वजन कम कर लेते हैं तो आपकी मेंस्ट्रुअल साइकिल इंप्रूव हो सकती है। जिससे PCOS के लक्षणों में सुधार होगा। वजन में नियंत्रण खानपान में ध्यान रखकर ही सुधारा जा सकता है।