प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मंगलवार को कहा कि भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि की संभावनाएं बढ़ाने वाले अगली पीढ़ी के सुधारों के माध्यम से प्रगति की रफ्तार को जिस गति से बढ़ाया है, उसकी तारीफ दुनिया कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने पेशेवर सोशल नेटवर्किंग मंच ‘लिंक्डइन’ पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि भारत अपने लोगों के नवोन्मेषी उत्साह के कारण वैश्विक ध्यान का केंद्र बन गया है और अब दुनिया भारत को उम्मीद और भरोसे के साथ देख रही है। उन्होंने कहा कि वह कई अवसरों पर कहते रहे हैं कि भारत सुधारों पर केंद्रित ‘रिफॉर्म एक्सप्रेस’ में सवार हो चुका है जिसका मुख्य इंजन देश की युवा आबादी और नागरिकों का अटूट संकल्प है। उन्होंने कहा, “भारत के लिए 2025 एक ऐसा साल होगा जिसे हमने पिछले 11 वर्षों में तैयार जमीन पर सुधारों को एक सतत राष्ट्रीय मिशन के रूप में आगे बढ़ाने के लिए याद किया जाएगा। हमने संस्थाओं को आधुनिक बनाया, शासन को सरल किया और दीर्घकालीन समावेशी वृद्धि के लिए बुनियाद को मजबूत किया।” मोदी जी ने कहा कि सरकार ने उच्च महत्वाकांक्षा, त्वरित निष्पादन और व्यापक रूपांतरण के साथ आगे बढ़ते हुए सुधारों को लागू किया। इन सुधारों का उद्देश्य नागरिकों को गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर देना, उद्यमियों को आत्मविश्वास के साथ नवाचार का मौका देना और संस्थाओं को स्पष्टता एवं भरोसे के साथ कार्य करने में सक्षम बनाना है। प्रधानमंत्री ने जीएसटी, भारतीय बीमा कंपनियों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति, श्रम कानूनों में सुधार और ग्रामीण रोजगार गारंटी जैसी कुछ प्रमुख पहलों का उदाहरण भी दिया। उन्होंने जीएसटी में पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत का दो-स्तरीय कर ढांचा लागू किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे घरों, एमएसएमई, किसानों और श्रम-गहन क्षेत्रों पर बोझ कम हुआ है। उन्होंने कहा, “इसका मकसद विवादों में कमी लाना और अनुपालन को बेहतर करना है। इस सुधार से उपभोक्ता धारणा और मांग में वृद्धि हुई है। त्योहारी मौसम में बिक्री में भी वृद्धि देखी गई।” मोदी ने इस पोस्ट में मध्यम वर्ग को दी गई अप्रत्याशित राहत का जिक्र करते हुए कहा कि सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को अब आयकर नहीं देना है। इसके अलावा 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलते हुए आधुनिक और सरल आयकर अधिनियम, 2025 लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ छोटे एवं मध्यम व्यवसायों को प्रोत्साहन देने के लिए ‘छोटी कंपनियों’ की परिभाषा का विस्तार करते हुए 100 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाली कंपनियों को इसके दायरे में लाया गया है। इससे हजारों कंपनियों का अनुपालन बोझ और संबंधित लागत कम होगी।
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