सुप्रीम कोर्ट के 6 नवंबर के ऐतिहासिक फैसले का असर अब हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामलों पर साफ दिख रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस मामले में राहत मिली, जबकि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में इसी प्रकार की राहत के लिए याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि लोक सेवकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकरण से पूर्व अनुमति आवश्यक है। यह फैसला लोक सेवकों के खिलाफ मनमाने या राजनीतिक रूप से प्रेरित अभियोगों से बचाने के लिए एक बड़ा सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
चिदंबरम को राहत:
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को पी. चिदंबरम के खिलाफ चल रही एयरसेल-मैक्सिस मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी। चिदंबरम पर आरोप था कि उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की अनुमति को गैरकानूनी रूप से मंजूरी दी। चिदंबरम ने दलील दी कि यह कार्य एक लोक सेवक के रूप में उनके आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा था, और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, बिना अनुमति मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। अदालत ने इस मामले में ईडी को जवाब दाखिल करने के लिए कहा और अगले सुनवाई की तारीख 22 जनवरी 2025 तय की।
केजरीवाल की याचिका:
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और तर्क दिया कि उनके खिलाफ ईडी का आरोप पत्र बिना पूर्व अनुमति के अवैध है। केजरीवाल पर आरोप है कि 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में उनकी भूमिका रही।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सीआरपीसी की धारा 197(1) के तहत पूर्व अनुमति आवश्यक है। अदालत ने यह भी कहा कि यह प्रावधान भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों को कमजोर नहीं करेगा, बल्कि निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।
इस फैसले का असर अमानतुल्लाह खान जैसे अन्य मामलों पर भी पड़ा है। दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अदालत ने खान को यह कहते हुए जमानत दी कि सक्षम प्राधिकरण से अनुमति के बिना उनकी हिरासत अवैध होगी।
यह फैसला अब अन्य लोक सेवकों के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया है, जो सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का हवाला देकर अपने खिलाफ चल रहे मामलों में राहत की मांग कर सकते हैं। यह घटनाक्रम मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में कानूनी प्रक्रिया की दिशा बदलने का संकेत है।