लुलु ग्रुप के चेयरमैन एम ए युसुफ अली ने एक केरल की महिला, संध्या, की मदद के लिए हाथ बढ़ाया, जिसे अपने घर से बेदखल कर दिया गया था क्योंकि वह कर्ज चुकाने में असमर्थ थी। यूएई में बसे इस केरल में जन्मे अरबपति ने संध्या का कर्ज पूरी तरह से चुकाने का आदेश दिया और साथ ही उसे ₹10 लाख की सहायता भी दी। यह मदद तब आई जब संध्या की कहानी स्थानीय मीडिया में आई और कई लोगों का ध्यान खींचा।
यह है पूरी कहानी:
2019 में संध्या और उनके पति ने केरल के उत्तरी पारावूर में अपने घर के निर्माण के लिए एक निजी वित्तीय संस्था से ₹4 लाख का कर्ज लिया था। यह कर्ज उन्होंने मणप्पुरम फाइनेंस, जो कि एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है, से लिया था।
हालांकि, 2021 में संध्या के पति ने उन्हें और उनके दो बच्चों को छोड़ दिया, जिसके बाद कर्ज की किस्तें चुकाना बंद हो गया। ब्याज सहित कर्ज की राशि बढ़कर लगभग ₹8 लाख हो गई। मणप्पुरम फाइनेंस ने किस्तों की अदायगी न होने पर घर की जब्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी। कंपनी ने बताया कि उन्होंने संध्या को चार बार चेतावनी दी थी, परंतु किस्तों का भुगतान फिर भी नहीं किया गया।
हाल ही में, जब संध्या अपने कपड़े की दुकान से घर लौटीं, तो उन्होंने पाया कि NBFC के अधिकारी उनके घर में घुसकर ताले बदल चुके थे और उन्हें और उनके बच्चों को घर से निकाल दिया था। यहां तक कि उन्हें अपने घर के अंदर से सामान भी निकालने की अनुमति नहीं दी गई।
घटना के बाद की स्थिति:
संध्या और उनके बच्चों को सड़क पर देख स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। उनकी दुर्दशा की कहानी मीडिया में आई और यह खबर लुलु ग्रुप के चेयरमैन एम ए युसुफ अली तक पहुंची। युसुफ अली ने तुरंत अपनी टीम को निर्देश दिया कि संध्या का कर्ज चुकाया जाए। उनके हस्तक्षेप के बाद, संध्या और उनके परिवार को उनके घर की चाबी वापस मिल गई।
लुलु ग्रुप के मीडिया समन्वयक स्वराज ने संध्या को उनके घर की चाबी सौंपी और साथ ही ₹10 लाख की राशि उन्हें फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए दी गई। संध्या ने इस मदद के लिए एम ए युसुफ अली का आभार जताते हुए कहा कि अगर वह आगे नहीं आते, तो उनका और उनके बच्चों का जीवन अत्यधिक कठिन हो जाता।
इस घटना से यह साबित होता है कि संकट के समय सही मदद कितनी महत्वपूर्ण होती है और मानवीयता की भावना कितनी शक्तिशाली हो सकती है।