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“भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी में नई ऊंचाई: रक्षा और प्रौद्योगिकी में सहयोग से मजबूत होते रिश्ते!”

फ्रांस के रक्षा समूह सफ्रान (Safran Group) ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई बातचीत के दौरान यह संकेत दिया है कि वह फ्रांस के बाहर अपनी पहली डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स इकाई भारत में स्थापित करने को तैयार है। यह कदम भारत और फ्रांस के बीच गहराते रणनीतिक संबंधों का प्रतीक है। इस वार्ता के दौरान, जो 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को हुई, फ्रांस ने भारत के साथ उन्नत मटेरियल और धातु विज्ञान (metallurgy) के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति जताई।

धातु विज्ञान में उन्नत ज्ञान का होना भारत के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि देश महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक इंजन के पुर्जे बनाने में सक्षम हो सके। हाई-एंड तकनीक को आत्मसात करने के लिए, भारत की इंडस्ट्री को उन्नत धातु विज्ञान के बारे में जानकारी होनी चाहिए, खासकर इंजन के पुर्जों की फोर्जिंग और कास्टिंग के क्षेत्र में।

इस बातचीत के दौरान, सफ्रान ने भारत में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स सुविधा स्थापित करने की योजना का खुलासा किया, जिसमें सैन्य प्लेटफार्मों का समर्थन करने के लिए आवश्यक सेंसर और अन्य महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का निर्माण किया जाएगा। हालांकि, इस सुविधा का स्थान अभी तय नहीं किया गया है।

इसके साथ ही, फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन एसए (Dassault Aviation SA) ने उत्तर प्रदेश के जेवर में एक संपूर्ण रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधा स्थापित करने के लिए जमीन अधिग्रहीत कर ली है, जो राफेल लड़ाकू विमानों और नागरिक विमानों की सेवा संभालेगी।

फ्रांस ने भारत के साथ संयुक्त रूप से पनडुब्बियों के लिए मानवरहित उप-सतह, सतह और हवाई प्रणाली (ड्रोन) विकसित करने का निर्णय लिया है, इसके अलावा स्वार्म ड्रोन और सशस्त्र ड्रोन तकनीक में भी सहयोग प्रदान करेगा।

इस दौरान, दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा से लेकर अंतरिक्ष में सैन्य उपयोग और संयुक्त सैन्य उपग्रहों के प्रक्षेपण तक के संवेदनशील सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही, हैमर मिसाइल जैसी स्टैंड-ऑफ हथियारों के सह-विकास और निर्माण पर भी बात हुई।

अजीत डोभाल की इस यात्रा का मुख्य आकर्षण फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ एक घंटे लंबी बैठक रही, जिसमें यूक्रेन युद्ध और इज़राइल की लेबनान पर कार्रवाई पर चर्चा की गई। डोभाल ने यूक्रेन युद्ध पर अपनी राय व्यक्त की, जबकि फ्रांस के विदेश मंत्री जीन नोएल बारॉट ने पश्चिम एशिया की स्थिति पर अपने विचार साझा किए। दोनों का साझा आकलन यह था कि इज़राइल लेबनान में शिया आतंकवादी समूह हिज़बुल्लाह को सैन्य रूप से कमजोर करने के लिए भूमि अभियानों को जारी रखेगा, जबकि संघर्षग्रस्त देश में एक मध्यमार्गी सरकार को समर्थन देने का प्रयास करेगा।

इसके अलावा, भारत और फ्रांस ने वैश्विक सुरक्षा परिवेश पर भी खुलकर विचार साझा किए, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीति पर भी चर्चा हुई।

इस तरह, दोनों देशों के बीच रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मजबूत सहयोग से रणनीतिक साझेदारी और भी प्रगाढ़ होती जा रही है, जो भारत की सुरक्षा और तकनीकी क्षमता को बढ़ाने में सहायक साबित होगी।

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