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भद्रक में सांप्रदायिक झड़पों के बाद ओडिशा सरकार ने 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं की बंद, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध

ओडिशा सरकार ने भद्रक जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद इंटरनेट सेवाओं को 48 घंटे के लिए निलंबित कर दिया है। यह निर्णय सोशल मीडिया पोस्ट्स से जुड़े विवादों के कारण हुई झड़पों के बाद लिया गया। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव सत्यब्रत साहू ने गृह विभाग के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि व्हाट्सएप, फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 30 सितंबर 2024 तक रोक लगा दी गई है। यह प्रतिबंध 48 घंटे के लिए, 30 सितंबर की सुबह 2 बजे तक प्रभावी रहेगा।

राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है कि हाल के दिनों में भद्रक और धामनगर क्षेत्रों में सोशल मीडिया पोस्ट्स के कारण सांप्रदायिक घटनाओं में इजाफा हुआ है। जिला प्रशासन ने इंटरनेट के माध्यम से सांप्रदायिक तनाव फैलाने को लेकर चिंता व्यक्त की है। इसलिए, सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने और शांति बहाल करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

गुरुवार को फेसबुक पोस्ट से जुड़ी धार्मिक भावनाओं के आहत होने पर एक समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया, जो बाद में हिंसक रूप ले लिया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। भद्रक शहर में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया गया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई और अतिरिक्त पुलिसकर्मी क्षेत्र में तैनात किए गए।

इंटरनेट निलंबन आदेश भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 की धारा 5(2) और अस्थायी टेलीकॉम सेवाओं को निलंबित करने के नियम, 2017 के तहत लागू किया गया है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी मोबाइल सेवा प्रदाताओं द्वारा संचालित व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और अन्य सोशल मीडिया सेवाएं, मोबाइल इंटरनेट/डाटा सेवाएं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं द्वारा संचालित सेवाएं, ब्रॉडबैंड डायल अप सिस्टम और अन्य किसी भी प्रकार के संचार माध्यम निलंबित रहेंगे।

इससे पहले, शुक्रवार की रात करीब 600 प्रदर्शनकारियों ने संथिया पुल को ब्लॉक कर दिया, जो कचेरी बाजार और पुरुणाबाजार को जोड़ता है। उनकी मांग थी कि फेसबुक पोस्ट करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए। जब पुलिस ने रैली के दौरान भीड़ को रोकने की कोशिश की, तो स्थिति बिगड़ गई और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस संघर्ष में एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) और एक सब-इंस्पेक्टर घायल हो गए, जबकि भद्रक तहसीलदार की गाड़ी को भी गंभीर क्षति पहुंचाई गई।

भद्रक शहर में पहले भी सांप्रदायिक तनाव का इतिहास रहा है। अप्रैल 2017 में भी एक भड़काऊ फेसबुक पोस्ट के बाद यहां हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें 450 से अधिक दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था और करीब ₹9 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था। उस समय, भद्रक में एक महीने से अधिक समय तक कर्फ्यू लागू रहा था, जो राज्य के इतिहास में सबसे लंबा कर्फ्यू था।

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