अब शहरों में कोई भी बड़ा आवासीय या व्यावसायिक प्रोजेक्ट बनाने से पहले उसका यातायात पर प्रभाव देखा जाएगा। आवास विभाग नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी में है। ट्रैफिक इम्पैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट के आधार पर ही उस प्रोजेक्ट का नक्शा प्राधिकरणों से पास हो सकेगा। अगर रिपोर्ट सही नहीं हुई तो नक्शा भी पास नहीं किया जाएगा।
शहरों में तेजी से बड़े-बड़े मॉल, आवासीय प्रोजेक्ट बन रहे हैं। इन प्रोजेक्ट की वजह से कई जगह पर यातायात की समस्या सामने आती है। बीते दिनों में उन सड़कों पर भी परियोजनाएं बन गईं, जहां यातायात का पहले से ही भारी दबाव रहता है। आसपास स्कूल होने की वजह से भी परेशानी होती है। ऐसे में उस परियोजना से आमजन को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लिहाजा, आवास विभाग ने इसका हल निकाला है। किसी भी आवासीय या व्यावसायिक परियोजना का नक्शा जमा कराने से पहले अब बिल्डर को पहले ट्रैफिक असेसमेंट कराना होगा। बिल्डर अपनी रिपोर्ट में ये बताएगा कि जहां परियोजना प्रस्तावित है, वहां यातायात का दबाव कैसा है। वहां की सड़क की चौड़ाई कितनी है और उसके सापेक्ष प्रतिदिन या प्रति घंटे वाहनों की आवाजाही कैसी है।
बदलाव लागू करने पर मंथन
आसपास कोई स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक स्थल तो नहीं है, जिससे यातायात प्रभावित होता हो। इसकी रिपोर्ट संबंधित प्राधिकरण में जमा होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही नक्शा पास करने का फैसला लिया जाएगा। शासन स्तर पर ये बदलाव लागू करने पर मंथन चल रहा है। आवास विभाग के अफसरों ने बताया कि जल्द ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।
केवल बड़ी परियोजनाओं के लिए नियम
आवास विभाग का ये नियम केवल बड़ी परियोजनाओं के लिए होगा। छोटे प्रोजेक्ट के लिए पूर्व के नियमों से ही नक्शा पास होगा। राजधानी दून समेत कई शहरों में बढ़ते शहरीकरण के बीच यातायात की बड़ी समस्या बनती जा रही है।
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