ट्रेन दुर्घटनाओं को देखते हुए रेलवे का पूरा महकमा हादसे की कमियों को ढूंढकर उसे बेहतर तकनीक से उन्नत करने में जुटा हुआ है। रेल मंत्रालय ने सभी 17 रेलवे जोन के सहायक नियमों (एसआर) में एकरूपता लाने की प्रक्रिया शुरू की है। इसी तरह दिल्ली रेल मंडल भी एकीकृत निगरानी प्रणाली से ट्रेनों की मॉनिटरिंग करेगा। गाजियाबाद-सहारनपुर, दिल्ली-रेवाड़ी, नई दिल्ली-पलवल, दिल्ली-अंबाला और दिल्ली-भटिंडा सेक्शन के लिए दिल्ली में नियंत्रण कार्यालय बनाया गया है। यहीं से सभी ट्रेनों की निगरानी की जा रही है। ट्रेनों के परिचालन की निरंतर वास्तविक समय की निगरानी करने के लिए दिल्ली में नियंत्रण कार्यालय में बड़े प्रारूप वाले इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं, जहां से सभी सेक्शन में चलने वाली ट्रेनों की निगरानी की जा रही है।
दरअसल सिग्नल खराब होने की समस्या को देखते हुए सभी रेलवे जोन में एकीकृत ट्रेन परिचालन सुरक्षा मानदंड को अगले 10 दिनों में जारी करने का निर्णय लिया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि 17 जून को हुए कंचनजंगा रेल हादसे में रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने जांच रिपोर्ट में इन मानदंडों में विसंगति को चिह्नित किया है। इसके बाद ही रेलवे जोन के सहायक नियमों (एसआर) में एकरूपता लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
लोको पायलटों को दी जा रही ट्रेनिंग
नियमों में एकरूपता लाने के साथ ही लोको पायलटों को भी विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। रेलवे ने सामान्य नियम (जीआर) तैयार किया है। जिसके आधार पर रेलवे अपने स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान के लिए सहायक नियम बनाएगा। लिहाजा इसे ठीक से समझने के लिए ड्राइवरों को ट्रेनिंग दी जा रही है। क्योंकि कंचनजंगा ट्रेन हादसा मामले में यह पता चला कि स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली की विफलता के दौरान ट्रेन की गति बनाए रखने के मानदंडों में भिन्नता थी। सीआरएस जांच ने इसे उजागर भी किया है।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से ट्रैक को किया जा रहा लैस
सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से ट्रैक को लैस किया जा रहा है। इसका फायदा यह होगा कि एक ही ट्रैक पर आगे-पीछे ट्रेनों को संचालित किया जा सकेगा। इंटरलॉकिंग सिस्टम होने से ट्र्रैक पर खड़ी ट्रेन को पीछे से आने वाली ट्रेन से टक्कर नहीं होगी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, 2023-24 में दिल्ली सफदरजंग, शामली, बड़ौत, कांधला, थाना भवन, मुदलाना को इस सिस्टम से लैस कर लिया गया है। 2024-25 में पीलू खेड़ा, जींद सिटी, मडलौडा में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के काम को पूरा कर लिया जाएगा।