गीता, श्रीमद्भागवत, रामायण व योग विषयों पर आधारित भारतीय किताबें अपना वैश्विक प्रभाव छोड़ रही हैं। देश ही नहीं विदेशों में भी पाठकों के बीच इन विषयों की किताबों की मांग बढ़ी है। इसकी एक बानगी प्रगति मैदान में बुधवार से शुरू हुए दिल्ली पुस्तक मेले के 28वें संस्करण में देखने को मिली। यहां हर स्टॉल पर धार्मिक, योग व भारतीय लोक कथाओं की किताबें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। किताब विक्रेता व प्रकाशकों ने इसके पीछे की वजह वैश्विक स्तर पर इनकी बढ़ती मांग को बताया है। इसके अलावा साहित्य, फिक्शन और व्यक्तिगत विकास संबंधी किताबें भी प्रमुखता से पढ़ी व खरीदी जा रही हैं।
मेले की थीम भारतीय पुस्तकों का वैश्विक प्रभाव है। ऐसे में विक्रेता विश्व में भारतीय चर्चित किताबों को लेकर यहां पहुंचे हैं। मेले का आयोजन भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) की ओर से द फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स (एफआईपी) के सहयोग से भारत मंडपम के हॉल नंबर 12 ए और 12 में किया जा रहा है। पुस्तक मेले में पहले दिन से छूट पर किताबें मिल रही हैं। कहीं 100 रुपये में कोई किताब मिल रही, तो कहीं 100 रुपये में लोग दो किताब खरीद रहे हैं। हॉल नंबर 12 ए में गीता प्रेस गोरखपुर के स्टॉल में पाठकों की सबसे अधिक संख्या देखने को मिली। यहां पाठकों को अपनी बारी का इंतजार करते देखा जा सकता है। दिल्ली गीता प्रेस के प्रबंधक रवि खारकिया ने बताया कि इस बार गीता, रामायण के साथ शिक्षा परस्त, नारी धर्म, जीवन जीने की कला, बाल जीवन और बाल कथाओं की किताबों की मांग बढ़ी है।
धार्मिक पुस्तकों की बिक्री बढ़ी
मेले में युवा, महिलाएं, बुजुर्ग के साथ हर उम्र के लोग आ रहे हैं। मेले में लोग अपने बच्चों के साथ आ रहे हैं। उन्हें अपनी संस्कृति से रूबरू करा रहे हैं। पुस्तक विक्रेता उदित राय ने बताया कि वह चंडीगढ़ से मेले में आए हैं। सभी तरह की धार्मिक पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं। सबसे अधिक मांग श्रीमद्भागवत गीता व रामचरितमानस की है। इनकी कीमत मात्र 400 रुपये है। उन्होंने बताया कि गीता उनके पास हर आकार में उपलब्ध है। मंदिर में रखने से लेकर लोग इन्हें अपनी कमीज की जेब में भी रख सकते हैं। वहीं, किताबें खरीद रहीं मेगा सिंह बताती हैं कि बच्चों के लिए धार्मिक पुस्तकों का अलग महत्व है। इस वजह से किताबें खरीदने के लिए बच्चों को साथ लाई हैं।
डिजिटल दुनिया के बावजूद किताबों की चाह बढ़ी
एक तरफ डिजिटल दुनिया का विकास हुआ है लेकिन, मेले में यह सब दूर की बात लगती है। यहां पाठक बड़ी दिलचस्पी के साथ अपनी मनपसंद की पुस्तकें खोजते दिख रहे हैं। पाठक कहते हैं कि जो मजा किताब को हाथ में रखकर पढ़ने का है वह डिजिटल पुस्तकों में नहीं है। हरियाणा के हिसार से आए दीपक गुप्ता ने बताया कि पढ़ने का सुख किताबों में ही है। किताबों की खुशबू ही एक ऐसी चीज है, जो उन्हें यहां तक खींच लाई है।
रीडर कोना बना आकर्षण का केंद्र
मेले में अलग से रीडर कोना बनाया गया है, जोकि पाठकों को खूब आकर्षित कर रहा है। यहां पाठक पुस्तक खरीदकर तफसील से पढ़ सकते हैं। यही नहीं, खरीदने से पहले उस किताब के बारे में जान भी सकते हैं। रोहिणी से आए पाठक कुलदीप यादव कहते हैं कि किताब खरीद ली है। अब उन्हें पढ़ने की चाह हो रही थी, तो यहां बैठक पढ़ने लगे हैं।
पुस्तक मेला युवाओं को भविष्य से जोड़ता है : अग्रवाल
पांच दिवसीय पुस्तकों के उपहार, दिल्ली पुस्तक मेले का उद्घाटन आईटीपीओ के कार्यकारी निदेशक आईएएस सीए रजत अग्रवाल द्वारा भारत मंडपम में किया गया। मेले का आरंभ अन्य लोकप्रिय कार्यक्रमों जैसे स्टेशनरी मेला, ऑफिस ऑटोमेशन और कॉर्पोरेट गिफ्ट मेले से हुआ। इस अवसर पर रजत अग्रवाल ने कहा कि इसके अगले संस्करण में प्रदर्शकों की प्रतिक्रिया में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले का आईटीपीओ के लिए विशेष स्थान है क्योंकि यह युवाओं को देश के भविष्य से जोड़ता है। इस दौरान एफआईपी के अध्यक्ष नवीन गुप्ता, आईटीपीओ की महाप्रबंधक हेमा मैती समेत कई लोग मौजूद रहे।