उत्तराखंड में भाजपा क्या दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी विजय गाथा लिख पाएगा? सियासी जानकारों का मानना है कि बदरीनाथ और मंगलौर का चुनावी समर भाजपा के विजय रथ की कड़ी परीक्षा लेगा। चंपावत और बागेश्वर उपचुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में जीत से भाजपा के हौसले बुलंद है और इस बार वह मंगलौर विस के अभेद्य दुर्ग को भी भेदने की रणनीति पर काम कर रही है।
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बदरीनाथ विस सीट पर कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिली थी, लेकिन कांग्रेस की जीत की पटकथा लिखने वाले राजेंद्र भंडारी अब भाजपा में शामिल हैं। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गढ़वाल संसदीय सीट पर बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 8254 वोटों से पीछे छोड़ा। हालांकि भंडारी के भाजपा में आने के बाद पार्टी इससे भी बड़ी लीड की उम्मीद कर रही थी।
बहरहाल, बदरीनाथ सीट पर भाजपा के भंडारी पर ही दांव लगाने की ज्यादा संभावना है। लेकिन मुकाबले में कांग्रेस भी कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उपचुनाव में कांग्रेस के पास लोस चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर करने का मौका है। इस लिहाज से भाजपा के लिए बदरीनाथ का समर आसान नहीं माना जा रहा है।
मंगलौर विस सीट भाजपा ने कभी नहीं जीती। मुस्लिम और अनुसूचित जाति बहुल इस सीट पर बसपा और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। भाजपा ने इस सीट पर प्रत्याशी तो उतारे. लेकिन उसे कभी कामयाबी नहीं मिली। 2022 के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी दिनेश सिंह पंवार को 18763 वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव में हरिद्वार संसदीय सीट के अंतर्गत मंगलौर से भाजपा 21 हजार वोट हासिल किए। लेकिन जीत के लिए 30 से 40 हजार वोटों की दरकार है। भाजपा के लिए इतने वोट जुटाने के लिए खास रणनीति बनानी होगी।
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