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दिल्ली: खुद को आरटीओ इंस्पेक्टर बताकर करते थे ठगी…

दक्षिण जिले की साइबर थाना पुलिस ने जस्ट डायल पर खुद को आरटीओ इंस्पेक्टर व एजेंट बताकर ठगी करने वाले दो जालसाजों अजय मिश्रा और सर्वेश कुमार शर्मा को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने जस्ट डायल पर ‘मिश्रा आरटीओ सर्विसेज’ के नाम से एक प्रोफ़ाइल बनाई थी।

पीड़ित यहां से नंबर लेकर आरोपियों को फोन करते थे तो ये खुद को आरटीओ एजेंट के रूप में प्रस्तुत करके धोखाधड़ी करते थे। शुरुआती जांच में ये बात सामने आ रही है कि आरोपी दिल्ली, यूपी समेत एनसीआर में 100 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके हैं।

दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त अंकित चौहान ने बताया कि एक पीड़ित ने दक्षिण जिले के साइबर थाना पुलिस स्टेशन में 11 मई, 2022 को आरटीओ, सराय काले खां, नई दिल्ली को एक अनुरोध भेजकर अपने वाहन के संबंध में डुप्लीकेट एनओसी जारी करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 15 मई को 22 को उनके पास एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। उसने खुद को जनकपुरी स्थित आरटीओ कार्यालय में क्लर्क बताया।

आरोपी ने पीड़ित से कहा कि वह डुप्लीकेट एनओसी जारी करने के संबंध में उसकी मदद कर सकता है। काम करने के एवज में उसने एनओसी रद्दीकरण शुल्क के रूप में 7500 रुपये मांगे। कुछ समय बाद शिकायतकर्ता को एक अन्य व्यक्ति का फोन आया। उसने खुद को आरटीओ इंस्पेक्टर बताया।

इस फर्जी इंस्पेक्टर ने पीड़ित से डुप्लीकेट एनओसी जारी करने के नाम पर 43300 रुपये ठग लिए। पीड़ित से पैसे लेने के बाद आरोपियों ने अपने मोबाइल बंद कर लिए। शिकायत पर मामला दर्जकर साइबर थाना प्रभारी अरुण कुमार वर्मा की देखरेख में  महिला एसआई प्रीति मान, हवलदार सुनील और हवलदार की टीम ने जांच शुरू की।

एसआई प्रीति मान ने पीड़ित से  विस्तृत पूछताछ के अलावा उन बैंक खातों की डिटेल खंगाली जिनमें ठगी का पैसा गया था। बैंक खातों व ठगी के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों की जांच के दौरान एसआई प्रीति मान को पता चला कि जिन नंबरों से शिकायतकर्ता को कॉल आए थे, उनका इस्तेमाल लखनऊ, यूपी में किया जा रहा है। ठगी की रकम लखनऊ, यूपी निवासी सुमित मेहरा के नाम से रजिस्टर्ड खाते में ट्रांसफर की गई है।

इसके बाद पुलिस टीम ने लखनऊ पहुंचकर दबिश दी और दोनों आरोपियों कुर्सी रोड, लखनऊ. निवासी अजय मिश्रा और नंदपुर गांव, न्यू विज्डम स्कूल के पास, चिनहट, लखनऊ निवासी सर्वेश कुमार शर्मा पुत्र स्व. राम कुमार शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। इनकी निशानदेही पर तीन मोबाइल फोन, आठ पासबुक, सात चेक बुक, एक पैन कार्ड, एक डेबिट कार्ड, तीन सिम कार्ड और एक रजिस्टर बरामद किया गया। आरोपियों ने खुलासा किया कि वे दोनों बेरोजगार थे। इन्होंने तीसरे आरोपी सुमित मेहरा के साथ ठगी की साजिश रची। इन्होंने जस्टडायल पर प्रोफाइल पर प्रोफाइल बनाया। ये खुद को आरटीओ इंस्पेक्टर बताकर ठगी करने लगे। ये सुमित मेहरा के बैंक खाते में ठगी की रकम को भेजते थे।

ऐसे करते थे जालसाजी
आरोपी अजय मिश्रा ने जस्टडायल पर ‘मिश्रा आरटीओ सर्विसेज’ के नाम से पंजीकृत एक प्रोफाइल बनाई थी और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आरोपी जस्ट डायल को 2200 प्रति माह का भुगतान करता था।  वे खुद को आरटीओ एजेंट बताकर उन ग्राहकों को कॉल करते थे, जिनकी जानकारी उन्हें वेबसाइट से मिलती थी। इसके बाद ये ग्राहकों को उनकी आवश्यक सुविधा प्रदान करने के नाम पर ठग लेते थे। पैसे सह-अभियुक्त सुमित मेहरा के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिए जाते थे।

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