मेयर का चुनाव इस बार भाजपा लड़ेगी या नहीं यह अब तक तय नहीं है। इधर आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है। दिल्ली में भले ही हर साल नए मेयर को चुनने की परंपरा है। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में मेयर चुनाव की जीत से जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा। जिस पार्टी की जीत मिलेगी, उसे इससे लाभ होने के आसार हैं।
एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ज्यादा वार्ड जीते हैं। ऐसे में एमसीडी के सदन में स्पष्ट बहुमत वाली आप के पार्षद का नाम मेयर पद के लिए मनोनीत हो सकता है। अगर विपक्षी दल इसका विरोध कर अपने उम्मीदवार को नामांकित करते हैं तो इस स्थिति में मेयर का चुनाव होगा। सदन में यदि केवल एक उम्मीदवार होगा, तो उन्हें मेयर नियुक्त किया जाएगा। एमसीडी में एक विशेषता है कि निगम चुनाव में दल बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता, इसलिए कोई भी पार्षद किसी भी उम्मीदवार को वोट दे सकता है। इस बार देखना होगा कि मेयर के चुनाव में भाजपा की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किया जाता है या नहीं। भाजपा ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। पिछले दोनों बार हुए मेयर चुनाव में संख्या बल कम होने के बावजूद भाजपा ने अपने सदस्यों को प्रत्याशी के तौर पर उतारा था।
पार्टी के पार्षदों पर आप-भाजपा की नजर
मौजूदा समय आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों लोकसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं। लेकिन दोनों पार्टियों के दिल्ली प्रदेश स्तर के नेता मेयर चुनाव के चलते अपनी पार्टी के पार्षदों पर नजर रखे हुए हैं। आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त दिख रही। लेकिन पार्टी प्रमुख सीएम अरविंद केजरीवाल के न्यायिक हिरासत में जेल जाने के बाद से पार्टी में निराशा भी है।
आप सांसद संजय सिंह को जमानत मिलने से कार्यकर्ताओं को काफी हद तक बल मिला है। लेकिन एमसीडी के पार्षद कब किस पार्टी की ओर खिसक जाएं आश्चर्य की बात नहीं है। इसलिए दोनों दल अपने पार्षदों पर नजर रखे हुए हैं। दूसरी तरफ भाजपा दल की ओर से इस तरह के संकेत मिल रहे कि यदि जीत की उम्मीद नजर आएगी तभी इनकी ओर से मेयर चुनाव में उम्मीदवार उतारे जाएंगे, नहीं तो मेयर चुनाव में वाकओवर देंगे।
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