सिगरेट और सोने के भगोड़े तस्करों के खिलाफ कस्टम विभाग ने बड़ा अभियान छेड़ दिया है। अधिकारियों ने पुलिस के साथ 29 तस्करों के ठिकानों पर छापे मारे। ये कार्यवाही टांडा और हलद्वानी में की गई। इन तस्करों के नेटवर्क को पकड़ने की रणनीति बनाई गई है। जिसमें इन तस्करों के आर्गनाइजर और ट्रैवल एजेंटों को जांच के दायरे में रखा गया है। इस बीच रिमांड में लिए गए दो तस्करों की बेल खारिज हो गई है।
चार दिन पहले लखनऊ स्थित चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से कस्टम टीम ने 3.12 करोड़ रुपये की विदेशी सिगरेट के साथ 35 तस्करों को पकड़ा था। उनमें से मोहम्मद कासिफ नाम के एक तस्कर की तबियत खराब हो गई थी जिसका इलाज अधिकारियों ने कराया। इसकी आड़ में तस्करों ने नारेबाजी शुरू कर दी और इलाज की अफरातफरी के बीच 29 तस्कर हिरासत से फरार हो गए। इस गंभीर प्रकरण में एयरपोर्ट पर तैनात पूरी कस्टम टीम को सस्पेंड किया जा चुका है। छह तस्करों को रिमांड में लेने के बाद कस्टम अधिकारियों द्वारा पूछताछ जारी है। उनसे कुछ महत्वपूर्ण क्लू मिले हैं। इसके आधार पर टीमों ने 29 ठिकानों पर छापे मारे हैं। घरों में कोई तस्कर नहीं मिला लेकिन घरवाले मिले। भगोड़े तस्करों का रहन-सहन अच्छा पाया गया है।
बड़ा सिंडीकेट होने के संकेत
पकड़े गए तस्करों से पूछताछ में तस्करों के पीछे बड़े सिंडीकेट का हाथ होने के संकेत मिले हैं। पकड़े गए और भगोड़े तस्कर ‘ग्राउंड लेवल वर्कर्स’ हैं। तस्करी के सिंडीकेट के रूप में कस्टम विभाग को पहला मौका मिला है। यही वजह है कि पहली बार इन्हें गिरोह के रूप में दर्ज किया गया है।
दिल्ली-मुंबई से लेकर दुबई तक नेटवर्क
सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में तस्करों ने कई राज उगले हैं। दुबई में उनके कई ‘आर्गनाइजरों’ का खुलासा हुआ है। तस्करों के तार दिल्ली, मुंबई और वेस्ट यूपी से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक फैले हैं। सिंडीकेट का यही नेटवर्क सोने और सिगरेट की तस्करी का ‘सेफ पैसेज’ तैयार करता है। इसके अलावा तस्करों के लिए टिकट-वीजा कराने वाले ट्रैवल एजेंटों से भी पूछताछ की जाएगी। ये एजेंट भी किसी एक शहर में न होकर कई शहरों में फैले हैं। उनके केवाईसी आदि मांगी जाएगी।
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