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दिल्ली की जनता को मुद्दों की लड़ाई करती है वोटिंग के लिए प्रेरित

दिल्ली वालों के लिए चुनावी मुद्दा अहम है। जब भी लोकसभा चुनाव में मुद्दा गरमाया है दिल्ली वालों ने बढ़-चढ़ कर मतदान करने में रूचि दिखाई है। लिहाजा मत प्रतिशत का ग्राफ भी बढ़ा है। चाहे वह पाकिस्तान विजय के बाद का इंदिरा गांधी की करिश्माई नेतृत्व में हुआ लोकसभा चुनाव हो या 1977 में महंगाई, मानवाधिकार, आपात काल के बाद बही सत्ता परिवर्तन की बयार। जनता घर से बाहर निकली और मतदान प्रतिशत बढ़ा।

इसी तरह 1984 लोकसभा चुनाव में भी इंदिरा गांधी की शहादत को लेकर सहानुभूति की लहर दौड़ पड़ी थी। राजीव गांधी जैसे युवा नेतृत्व को सत्ता सौंपने को लेकर भी बड़ी संख्या में मतदाता घर से बाहर निकले थे। इसी तरह 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बयार बह रही थी। इस दौरान भी दिल्ली की जनता ने सातों लोकसभा सीट को जिताया। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत गिर गया था। 18वीं लोकसभा चुनाव में भी राम लहर , विकास और कांग्रेस-आप गठबंधन की वजह से बेहतर वोटिंग की उम्मीद जताई जा रही है।

5वें लोकसभा चुनाव में हुआ था 75.08 फीसदी मतदान
दिल्ली में कई मौके ऐसे रहे जब मतदान प्रतिशत बढ़ा है। अभी तक का सबसे ज्यादा मतदान 5वीं लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। मतदान का प्रतिशत 75.08 था। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जनता पाकिस्तान विजय के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करिश्माई नेतृत्व में वोट करने घर से बाहर निकली थी। विपक्ष का भी नारा था इंदिरा हटाओं। कांग्रेस ने नारा दिया था गरीबी हटाओ।

71.3 प्रतिशत मतदान हुआ था छठवीं लोकसभा में
छठीं लोकसभा यानी 1977 के चुनाव में भी मतदान प्रतिशत अधिक रहा। नारा था हर हाथ को काम हर खेत को पानी। इस चुनाव में 71.3 प्रतिशत मतदान हुए थे। उस वक्त मतदाताओं के निकलने के पीछे जानकार मानते है कि सत्ता परिवर्तन की बयार बह रही थी। इसके साथ ही आपात काल की ज्यादतियां, महंगाई, नसबंदी, भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा बना था। युवाओं को जेपी आंदोलन ने एक सूत्र में पिरोने का काम किया था।

1984 में इंदिरा गांधी की शहादत पर 64.5 फीसदी मतदान
इसके बाद एक दौर आया 1984 लोकसभा चुनाव का। 8वीं लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शहादत व सहानुभूति की लहर पूरे देश में थी। राजीव गांधी के हाथ में सत्ता सौंपने को लेकर मतदाता वोट करने घर से बाहर निकले थे। उस वक्त चुनाव का प्रतिशत 64.5 प्रतिशत था। 1962 और 1967 लोकसभा चुनाव में 70 प्रतिशत के करीब मतदान हुए थे। 1984 लोकसभा चुनाव के बाद मत प्रतिशत का ग्राफ नीचे गिरा।

 

कमंडल मुद्दे व आडवानी की रथयात्रा में जनता ने नहीं ली रुचि
बोफोर्स मुद्दा को लेकर एक बार फिर मिस्टर क्लीन की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया लेकिन वोट प्रतिशत मात्र 54.30 प्रतिशत ही रहा। कमंडल मुद्दे और आडवाणी की रथ यात्रा के बाद भी दिल्ली की जनता ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। प्रतिशत घट कर 48.52 प्रतिशत हो गया।

2014 में फिर बढ़ा मतदान प्रतिशत
मतदान बढ़ने का ट्रेंड एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वास के साथ बढ़ते दिखा। 2014 के चुनाव में दिल्ली की जनता ने 65.07 प्रतिशत मतदान किया हालांकि 2019 के चुनाव में मत का ग्राफ नीचे आया। 60.6 प्रतिशत जनता ने ही वोट किया।

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