दिल्ली की सड़कों पर तकनीक का जाल फैलाने की कवायद शुरू हो गई है। इसमें यातायात व्यवस्था की निगरानी में एआई का इस्तेमाल होगा। हर जगह अत्याधुनिक कैमरे लगेंगे। करीब 50 करोड़ रुपये की लागत के इस प्रोजेक्ट को तीन साल के भीतर पूरा किया जाएगा।
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। तीन चरण के इस प्रोजेक्ट का शिड्यूल साल-दर-साल तय किया गया है। काम मिलने के पहले साल में कंपनी को 20 फीसदी काम पूरा करना होगा।
प्रोजेक्ट इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आइटीएस) पर आधारित है। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित अत्याधुनिक कैमरों से सड़कों पर सातों दिन व 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी। इससे जरूरत के हिसाब से रीयल टाइम बेसिस पर यातायात व्यवस्था का प्रबंधन करना संभव होगा। वहीं, कारीडोर विशेष के लिए अल्पकालिक व दीर्घकालिक योजना भी तैयार होगी।
दिलचस्प यह है कि नियमों को तोड़ने वाले अब सिस्टम को झांसा नहीं दे सकेंगे। जो भी नियम वाहन चालक तोड़ेगा, उसके अनुसार उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि निविदा जारी कर दी गई है। अप्रैल तक जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करने के साथ प्रोजेक्ट पर जमीनी स्तर पर काम भी शुरू होने जा रहा है। इसके तीन साल के बाद दिल्ली का ट्रैफिक सिस्टम देश में सबसे अत्याधुनिक होगा और दिल्ली यातायात के मामले में नार्वे, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, इटली के शहरों से टक्कर लेगी।
तीन चरणों में पूरा होगा काम
दिल्ली सरकार के दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमेटेड (डीटीआईडीसी) की योजना तीन चरणों में पूरी होगी। पहले साल में 20%, दूसरे में 60% व तीसरे साल में 100% काम होगा।
पीपीपी मोड के इस प्रोजेक्ट की हर साल समीक्षा होगी। प्रोजेक्ट तैयार करने वाली कंपनी काे न्यूनतम 25 सालाें तक इसे चलाना पड़ेगा। अधिकारियों का मानना है कि इस पूरी योजना के लागू करने में 50 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
5000 जंक्शनों पर लगेंगे कैमरे
अधिकारियों के अनुसार, यह कैमरे दिल्ली के पांच हजार यातायात जंक्शनों पर लगाए जाएंगे। इन स्थानों पर कई कैमरे अलग-अलग कार्य के लिए लगाए जाएंगे। एआई कैमरों का प्रयोग बसों की लेन जांच, ओवरस्पीडिंग, बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट वाले वाहन चालकों, दोपहिया वाहनों पर मोबाइल फोन के उपयोग, लालबत्ती जंप करने, चोरी के वाहनों का उपयोग समेत सभी तरह के यातायात नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए होगा। इसमें कैमरा नंबर प्लेट पढ़ लेगा और सिस्टम वाहन के मालिक की पहचान करेगा और अन्य विवरण भी तैयार करेगा। यह भी पता लगाएगा कि वाहन के पास वैध पीयूसीसी है या नहीं।
डाटाबेस से जुड़े होंगे कैमरे
एआई आधारित कैमरे अलग-अलग डाटाबेस से जुड़े होंगे। इसमें जीएसटी, पुलिस, ई-वाहन और वाहन रजिस्ट्री डेटाबेस प्रणाली आदि विभागों के डाटा होंगे। इससे बिना बीमा, उम्र पूरी कर चुके वाहन, ग्रेप के दौरान नियम को तोड़ने वाले वाहन, चोरी के वाहन, बिना बिल के खरीदे गए वाहन, प्रतिबंधित वाहन आदि पर कार्रवाई होगी। इन कैमरों में कई दिनों तक डाटा भंडारण की सुविधा भी होगी। अधिकारियों के अनुसार, पूरी व्यवस्था का संचालन निजी कंपनी करेगी। एआई आधारित कैमरे, उपकरण समेत व्यवस्था को लागू करने के लिए जो भी जरूरी उपकरण है उनका इंतजाम करेगी।
ऐसे होगी निगरानी
प्रोजेक्ट में परिवहन विभाग के साथ ट्रैफिक पुलिस, लोक निर्माण विभाग व स्वास्थ्य विभाग भी शामिल है। इस योजना से सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में भी मदद मिलेगी। यातायात नियमों को तोड़ने वाले वाहन का चालान सिस्टम खुद ही काट देगा। साथ ही वाहन मालिक के पास ई-चालान पहुंच जाएगा। डाटा को ई-चालान प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा। दिन, सप्ताह, माह के हिसाब से यातायात का डाटा तैयार किया जाएगा। इससे जाम आदि के स्थानों का भी पता लग सकेगा।
सड़क हादसों का भी डाटा निकालने में भी मदद मिलेगी। इस योजना के तहत कमांड कंट्रोल सेंटर बनाया जाएगा और इससे पूरी व्यवस्था की निगरानी की जाएगी। इसमें कई अलग-अगल सर्वर होंगे।