प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे इंतजार के बाद दो मार्च को बिहार आए। औरंगाबाद और बेगूसराय में बड़ी जनसभा की। इसमें भारतीय जनता पार्टी के दिग्गजों के अलावा जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर के प्रमुख व पूव मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) के प्रमुख व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस आदि नजर आए, लेकिन दो घटक दलों के दिग्गज की गैरमौजूदगी से चिंता दिख रही है। भाजपा अब पीएम मोदी के छह मार्च को संभावित बेतिया दौरे के दौरान उन दो घटकों पर फोकस करेगी, खासकर पशुपति पारस के भतीजे और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और जमुई के सांसद चिराग पासवान।
चिराग के नहीं आने की तीन वजह, कौन भारी- सवाल यही
खुद को लंबे समय तक पीएम मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान शनिवार को बिहार में नहीं थे। वह दिल्ली में बताए गए। पीएम मोदी बिहार को इतनी बड़ी सौगात देने आए तो केंद्रीय मंत्री के रूप में पशुपति कुमार पारस और बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सबसे मजबूत साथी जदयू के अध्यक्ष व सीएम के रूप में नीतीश कुमार का रहना लाजिमी था। लेकिन, यही तीन वजहें मानी जा रही हैं चिराग पासवान की गैरहाजिरी के। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी के अनुसार पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत चिराग पासवान दिल्ली में थे, इसलिए पीएम मोदी की जनसभा में नहीं गए। वैसे, राजनीतिक समझ रखने वाले इसके पीछे दो कारण मंच पर मौजूद ‘चाचा’ को मान रहे हैं। केंद्रीय मंत्री के नाते पारस का मंच पर होना तय था, लेकिन दूर जमुई का सांसद होने के नाते शायद पारस नीचे होते- इसलिए वह नहीं आए। सीएम नीतीश कुमार का मंच पर पीएम मोदी के बगल में होना पक्का था और ऐसे में चिराग का नीचे दिखना भी उन्हें नहीं सुहाता- इसलिए वह नहीं आए। अब छह मार्च को चिराग पासवान हाजिर होते हैं या नहीं, इसी पर सारा गणित दिखेगा। बेतिया भी जमुई से दूर है, लेकिन अगर सबकुछ ठीक रहा तो ही चिराग वहां नजर आएंगे।
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