दो दशक के बाद उत्तर पश्चिमी दिल्ली के बवाना और नरेला में विभिन्न वर्कर्स आवासीय योजना के तहत मूल आवंटियों और दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) के बीच फ्लैटों की लीज डीड का रास्ता खुलेगा। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एकसमान लीज डीड के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के तहत करीब 5311 आवंटियों को लाभ मिलेगा, इन्हें तय समय में आवंटन करने को कहा गया है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रशासनिक विभाग को इस मामले में देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। एलजी ने मंजूरी देने के साथ डीएसआईआईडीसी पर नाराजगी भी जताई है। उन्होंने निर्देश में लिखा है कि साल 2003-4 में पहली योजना शुरुआत हुई थी। इसके बावजूद लीज डीड के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। बवाना में साल 2003-2004 में राजीव गांधी हाउसिंग स्कीम-1 और वर्ष 2006-2007 में नरेला और बवाना में राजीव गांधी हाउसिंग स्कीम-2 की शुरुआत हुई थी।
उपराज्यपाल ने इस पर चिंता जताई कि श्रमिकों के आवास योजनाओं के संबंध में साल 2019 में लीज डीड में अंतिम रूप देने में हुई देरी पर कारण बताने को कहा गया था, लेकिन डीएसआईआईडीसी ने लीज डीड को अंतिम रूप देने में करीब पांच साल लगा दिए। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उद्योगों को औद्योगिक क्षेत्रों बवाना और नरेला में स्थानांतरित कर दिया गया था। ऐसे में कर्मचारियों के लिए डीएसआईआईडीसी ने कम लागत वाली आवास योजनाएं शुरू की थी।
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