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बैड कोलेस्ट्रॉल से बढ़ सकता है ASCVD का खतरा…

भारत में हर साल लगभग एक तिहाई मौतें (24.8%) हृदय रोगों की वजह से होती हैं। पहले जहां इसका खतरा बड़े-बूढ़़ों को ही होता था, वहीं अब यह समस्या नौजवानों में भी देखने को मिल रही है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का हाई होना है। कोलेस्ट्रॉल लेवल को समझना और उसे कंट्रोल करने के उपायों को अपनाकर हार्ट से जुड़ी बीमारियों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

क्या है ASCVD?

एथेरोस्केलोरेटिक कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (एएससीवीडी) एक गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली समस्या है। इसमें धमनियों में प्लाक बनने लगता है। जिससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। इसके चलते हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। धमनियों में प्लाक जमने से हार्ट के अलावा किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है। इस समस्या की जो सबसे बड़ी वजह है वो है शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना।

डॉ. अश्विनी मेहता, सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, सर गंगाराम हॉस्पिटलदिल्ली का कहना है, “मैं हृदय रोगों से जुड़े खतरों के बारे में जल्द पता लगाने के लिए नियमित रूप से जांच करवाने की सलाह देता हूं, खासकर युवाओं को। मैं 10% ऐसे युवाओं से मिला हूं, जिन्हें हृदय संबंधी समस्याएं हैं। इसका नियंत्रण जागरूकता और नियमित जांच के साथ शुरू होता है। इससे वे खुद अपनी दिल की सेहत का ख्याल रख पाएंगे। सक्रिय रूप से जांच करवाना और तनाव के नियंत्रण से युक्त एक संपूर्ण तरीका युवाओं में एक सेहतमंद जीवनशैली अपनाने के लिए महत्वपूर्ण है।’’

एएससीवीडी को कंट्रोल करने के लिए जरूरी उपाय

सेहत की नियमित जांच

कोलेस्ट्रॉल की समय-समय पर जांच करवाते रहना सबसे जरूरी उपाय है हृदय रोगों को जोखिम को कम करने में। डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपायों का पालन करें और समय-समय पर दवाइयां भी लें।

सेहत का रखें ख्याल

अपने हार्ट को हेल्दी रखने के लिए डॉक्टर के पास जाने के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें। इसके लिए हेल्दी डाइट लें, रोजाना एक्सरसाइज करें और पर्याप्त नींद भी लें। इससे वजन, ब्लड प्रेशर जैसी कई चीज़ें कंट्रोल में रहती हैं।

धूम्रपान बंद करें

हृदय रोगों के खतरे क बढ़ाने में धूम्रपान एक बहुत बड़ी वजह है। जितना जल्दी इस आदत से किनारा कर लें उतना अच्छा।

स्ट्रेस न लें

आजकल की जिंदगी में तनाव से न सामना हो, ऐसा तो नामुमकिन ही है, लेकिन तनाव को खुद पर हावी न होने दें। इसे कैसे कंट्रोल में रखा जा सकता है, इसपर काम करें। मेडिटेशन, दोस्तों से बातचीत, अपनी पसंद की चीज़ें करने से स्ट्रेस लेवल को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

अगर आपकी फैमिली में हृदय रोग या उससे जुड़ी परेशानियों की हिस्ट्री रही हो, तो आपको और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। नियमित जांच और डॉक्‍टरों से परामर्श लेते रहने से आनुवांशिक कारकों को समझने में मदद मिलती है।

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