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वैश्विक आरती में हुए शामिल, कुछ ऐसा रहा PM मोदी का UAE दौरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को मंत्रोच्चार के बीच अबू धाबी के पहले मंदिर का उद्घाटन किया। यह पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है। मंदिर को मानवता की साझा विरासत का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री ने मानवता के इतिहास में नया सुनहरा अध्याय लिखने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को धन्यवाद दिया। दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास अबू मरेखह में 27 एकड़ भूमि पर लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने कराया है।

पीएम ने मंदिर का किया उद्घाटन

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अबू धाबी में भव्य मंदिर के निर्माण को हकीकत में बदलने के लिए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान को हार्दिक धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने न सिर्फ खाड़ी देश में रहने वाले भारतीयों का, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों का भी दिल जीत लिया है। यूएई सरकार ने करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरे दिल से काम किया है।

खास पहनावे में दिखे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि बीएपीएस मंदिर पूरी दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव और वैश्विक एकता का प्रतीक बनेगा।’ इस दौरान यूएई के सहिष्णुता मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान और सभी पंथों के आध्यात्मिक गुरु उपस्थित थे। हल्के गुलाबी रंग की रेशमी धोती और कुर्ता, स्लीवलेस जैकेट और स्टोल पहने प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम विविधता में घृणा नहीं देखते, हम विविधता को अपनी विशेषता मानते हैं। इस मंदिर में कदम-कदम पर विविध आस्थाओं की झलक देखने को मिलेगी।’

मोदी ने कहा कि यूएई को अभी तक बुर्ज खलीफा, फ्यूचर म्यूजियम, शेख जायद मस्जिद और अन्य हाई-टेक इमारतों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब उसने अपनी पहचान में एक और सांस्कृतिक अध्याय जोड़ लिया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आएंगे। इससे यूएई आने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी और दोनों देशों के बीच लोगों का आपसी संपर्क भी बढ़ेगा।’

प्रधानमंत्री ने पिछले महीने अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भी याद किया। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या की हमारी असीम खुशी आज अबू धाबी में मिली खुशी की लहर से और बढ़ गई है। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं पहले अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर और फिर अबू धाबी में इस मंदिर का साक्षी बना हूं। अभी पिछले महीने अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सदियों पुराना सपना पूरा हुआ। रामलला अपने भवन में विराजमान हैं। पूरा भारत और हर भारतीय अभी भी उस प्रेम की भावना में डूबा हुआ है।’

पीएम ने पत्थर पर लिखा वसुधैव कुटुंबकम

मोदी ने कहा कि यह केवल भारत का ‘अमृत काल’ नहीं है, यह हमारी आस्था और संस्कृति के ‘अमृत काल’ का भी समय है।इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। मंदिर में वर्चुअल गंगा और यमुना नदियों में जल चढ़ाया। साथ ही मंदिर में हथौड़े और छेनी का उपयोग करके पत्थर पर ”वसुधैव कुटुंबकम” भी अंकित किया। उन्होंने ”वैश्विक आरती” में भी भाग लिया, जो द्वारा दुनियाभर में निर्मित स्वामीनारायण संप्रदाय के 1,200 से अधिक मंदिरों में एक साथ की गई।

कारीगरों से की मुलाकात

मंदिर का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने मंदिर का निर्माण करने वाले कारीगरों से मुलाकात की। गुजरात और राजस्थान के करीब दो हजार कारीगरों ने मंदिर निर्माण में योगदान दिया है। प्रधानमंत्री ने शुरुआत से लेकर पूरा होने तक मंदिर निर्माण में शामिल रहे स्वयंसेवकों एवं इसमें काम में योगदान देने वाले प्रमुख लोगों से भी भेंट की।

राम मंदिर की तरह नागर शैली में हुआ निर्माण

मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, भव्य मंदिर का निर्माण शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार किया गया है। इसे नागर शैली में बनाया गया है, जिस शैली में अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण किया गया है।

हर लेवल पर 300 से अधिक सेंसर

बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने बताया, ‘मंदिर में वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ ही वैज्ञानिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया है। तापमान, दबाव एवं गति (भूकंपीय गतिविधि) मापने के लिए मंदिर के हर लेवल पर 300 से अधिक हाई-टेक सेंसर लगाए गए हैं। ये सेंसर अनुसंधान के लिए सजीव आंकड़े उपलब्ध कराएंगे। अगर इस क्षेत्र में कोई भूकंप आता है तो मंदिर इसका पता लगा लेगा और हम उसका अध्ययन कर पाएंगे।’

नहीं हुआ धातु का उपयोग

मंदिर निर्माण में किसी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और कार्बन फुट¨प्रट घटाने के लिए नींव भरने में राख (फ्लाई एश) का उपयोग किया गया है। मंदिर के निर्माण प्रबंधक मधुसूदन पटेल ने बताया, ”हमने गर्मी प्रतिरोधी नैनो टाइल्स और भारी ग्लास पैनलों का उपयोग किया है। यूएई के अत्यधिक तापमान के मद्देनजर ये टाइल्स आरामदायक होंगी ताकि श्रद्धालु गर्म मौसम में भी घूम सकें।”

इटली के संगमरमर का भी इस्तेमाल

मंदिर निर्माण में 18 लाख ईंटों, सात लाख मानव घंटों और 1.8 लाख घन मीटर बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। 20 हजार टन बलुआ पत्थरों पर राजस्थान में ही नक्काशी की गई थी और उसके बाद 700 कंटेनरों में अबू धाबी लाया गया। इटली से लिए गए संगमरमर को भी नक्काशी के लिए पहले भारत भेजा गया और फिर अबू धाबी लाया गया।

दुबई में गुरुद्वारे ने आयोजित किया लंगर

अबू धाबी में मंदिर के उद्घाटन के मौके पर दुबई में एक गुरुद्वारे ने लंगर का आयोजन किया। इसमें पांच हजार लोगों को भोजन वितरित किया गया। इसे लहसुन-प्याज का इस्तेमाल किए बिना पकाया गया था।

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