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शोभायात्रा में शक्ति,अभाविप के कार्यक्रम में सड़कों पर उमड़ा जन सैलाब

एबीवीपी के अमृत महोत्सव वर्ष के अधिवेशन में आयोजित शोभायात्रा में ‘’अलग भाषा अलग वेश फिर भी अपना एक देश’’ के समागम से एकता में विविधता और अखंडता का दिव्य स्वरूप देखने को मिला।

बुराड़ी स्थित टेंट सिटी इंद्रप्रस्थ नगर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 69 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में विशाल शोभा यात्रा का शनिवार को आयोजन किया गया। यात्रा में शक्ति, संस्कृति के साथ सौहार्द का मिलन देखने को मिला। जगह-जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों व बच्चों ने फूल बरसा कर यात्रा का स्वागत किया। 4.5 किमी लंबी शोभायात्रा कार्यक्रम स्थल से डीयू के दौलतराम कॉलेज के मॉरिस नगर चौक तक पहुंची। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए 10 हजार से अधिक छात्रों ने सहभागिता की। सड़कों पर उमड़ी इस युवा तरुणाई का दिल्लीवासियों ने कुल 62 स्थानों पर पुष्पवर्षा और ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया।

एबीवीपी के अमृत महोत्सव वर्ष के अधिवेशन में आयोजित शोभायात्रा में ‘’अलग भाषा अलग वेश फिर भी अपना एक देश’’ के समागम से एकता में विविधता और अखंडता का दिव्य स्वरूप देखने को मिला। देश के अलग-अलग शैक्षणिक परिसर से आए छात्रों ने डीयू का भ्रमण करते हुए भौगोलिक विविधताओं के आधार पर चित्रित भारतीय संस्कृति का प्रत्यक्ष दर्शन किया। साथ ही सांस्कृतिक विविधता को चरितार्थ करते हुए अखंडता में व्याप्त विभिन्न स्वरूपों के दर्शन इस यात्रा में हुए।

शोभायात्रा जहां-जहां से गुजरी, वहां की सड़कें भारत माता की जय और कश्मीर से कन्याकुमारी एक भारत माता हमारी’ के नारों से गूंज उठीं। अंत में डीयू में खुला अधिवेशन आयोजित किया गया। इसमें छात्र नेताओं ने एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल के नेतृत्व में शिक्षा, समाज, युवाओं के विषयों पर अपने विचार रखे। शुक्ल ने कहा कि वह दिल्लीवासियों द्वारा इस युवा तरुणाई का भव्य स्वागत से अभिभूत हैं। राष्ट्रीय अधिवेशन के तीसरे दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत एवं युवाओं की भूमिका विषय पर छात्रों को संबोधित किया।

मुस्लिम समुदाय ने किया स्वागत
यात्रा के दौरान जगह-जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों व बच्चों ने छात्रों का उत्साह के साथ स्वागत किया। हर कोई भारत माता की जय घोष करता दिखा। सभी ने एक-दूसरे के गले मिलकर बधाई दी। जामिया से आए नासिर ने कहा कि यह देश एक है और यहां सब एक समान है। वह कहते हैं कि एबीवीपी जो कार्य कर रही है, वह कोई दूसरा छात्र संगठन देश के लिए नहीं कर सकता। उनके साथ कई मदरसे के छात्र भी शामिल थे। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे छात्रों में उत्साह बढ़ता जा रहा था।

तंबुओं के शहर में देश कीं संस्कृति सीखने-समझने का मिल रहा मौका
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की तंबुओं की नगरी में अलग-अलग राज्यों से पहुंचे छात्रों की दिनचर्या भी अलग है। कुछ की सुबह योग से तो कई की पूजा व ध्यान से शुरू होती है। सुबह के नाश्ते से रात के खाने की डिश भी अलग है। इस सबके बीच पास-पास होकर छात्र एक-दूसरे के रहन-सहन से खान-पान तक को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। ज्यादातर छात्र प्रतिनिधियों का मानना है कि एक कैंपस में पूरे देश की संस्कृति के सिमटे होने से बहुत कुछ जानने-समझने का मौका मिला है।

अरुणाचल, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और त्रिपुरा समेत अन्य राज्यों से आए छात्र एक-दूसरे के साथ फोन में तस्वीर खींचकर इन यादों को संजो रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश से आई ओबीनम ने कहा कि वह सुबह छह बजे उठकर योग करती है और इसे देखकर दूसरे राज्यों के कई छात्र प्रतिनिधि भी इसे दुहराते हैं। वहीं, नाश्ते व खाने की टेबल पर भी दक्षिण भारतीय छात्रों से मुलाकात हुई। उनकी पसंदीदा डिश खाकर पहली बार वहां की खाने की जानकारी मिली।

एक-दूसरे की भाषा भी सीख रहे छात्र
एबीवीपी के अलग-अलग प्रांतो से आए छात्र एक दूसरे को अपनी भाषा भी सिखाते हुए नजर आए। वह रात में बातों-बातों में एक दूसरे की भाषा सीखने की कोशिश करते हैं। उत्तराखंड से आई अंकिता ने बताया कि रात में नाच -गाना और मस्ती करके वह सोने जाते हैं। यहां आकर वह हिमाचली सीखने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा दूसरे कई राज्यों की छात्राओं से दोस्ती भी हुई है। उनको अपनी भाषा के बारे में बताने के साथ उनकी भाषा के कुछ शब्द सीखने की कोशिश की है।

उधर, सुदूर दक्षिण तमिलनाडु और केरल से आए छात्रों का दिल्ली की हवा रास नहीं आ रही है। उनको खांसी, सर्दी और गले में दर्द की शिकायत है। तमिलनाडु की महालक्ष्मी ने बताया कि देश भर के लोगों से मिलकर मजा तो आ रहा है, लेकिन यहां की हवाएं अलग होने से दिक्कत भी हो रही है। गले में खराश है। खासी भी आ रही है। इसी तरह की शिकायत दूसरे कई दोस्तों को भी है। कैंपस की क्लीनिक से दवा लेने पर आराम भी हुआ। इसी तरह की दिक्कत दिवाकर और वनिथा ने भी बताई।

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