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मुंबई आतंकी हमले के अभियुक्त तहव्वुर राणा ने अमेरिकी अदालत का किया रुख..

 मुंबई आतंकी हमले के अभियुक्त तहव्वुर राणा ने अमेरिकी अदालत का रुख किया है। उसने स्टेटस कॉन्फ्रेंस के लिए अमेरिकी अदालत का दरवाजा खटखटाया है। तहव्वुर राणा को भारत में भगोड़ा घोषित कर दिया गया है।

2008 के मुम्बई आतंकवादी हमले में शामिल पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा ने 20 महीने से अधिक समय तक भारत में अपने प्रत्यर्पण के आदेश की प्रतीक्षा करने के बाद अमेरिकी अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

भारत में भगोड़ा घोषित हुआ राणा

डेविड कोलमैन हेडली के बचपन के दोस्त 62 वर्षीय राणा को 2008 के मुंबई आतंकी हमले में शामिल होने के लिए भारत द्वारा अनुरोध करने पर पर लॉस एंजिल्स में 10 जून को फिर से गिरफ्तार किया गया था। उस आतंकी हमले में छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे। तहव्वुर राणा को भारत में भगोड़ा घोषित कर दिया गया है।

अमेरिकी सरकार के फैसले पर कोर्ट ने नहीं सुनाया फैसला

लॉस एंजिल्स में अमेरिकी जिला न्यायालय की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने जून 2021 में प्रत्यर्पण मुद्दे पर अंतिम सुनवाई की और जुलाई 2021 में कागजात का अंतिम सेट दायर किया गया। राणा को भारत में प्रत्यर्पित करने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर अदालत ने अभी फैसला नहीं सुनाया है।

राणा के वकील ने कहा, “मामले में आखिरी दलील 21 जुलाई, 2021 को दायर की गई थी। समय बीतने और राणा की निरंतर कारावास को देखते हुए अदालत और वकील के लिए मामले की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करना उचित प्रतीत होता है।”

अमेरिकी सरकार ने किया स्टेटस कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव की विरोध

अमेरिकी सरकार ने स्टेटस कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया है। राणा के वकीलों ने सुझाव दिया है कि स्टेटस कॉन्फ्रेंस 25 अप्रैल को आयोजित किया जाए। अदालत में सुनवाई के दौरान, संघीय अभियोजकों ने तर्क दिया कि राणा को पता था कि उसका बचपन का दोस्त हेडली पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के साथ शामिल था और वह हेडली की सहायता करके और उसकी गतिविधियों के लिए उसे कवर देकर, वह आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों का समर्थन कर रहा था।

राणा, हेडली की बैठकों के बारे में जानता था, क्या चर्चा हुई थी और कुछ लक्ष्यों सहित हमलों की योजना के बारे में जानता था। अमेरिकी सरकार ने जोर देकर कहा कि राणा साजिश का हिस्सा था और संभावित कारण है कि उसने एक आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने का बड़ा अपराध किया।

वहीं, दूसरी ओर राणा के वकील ने प्रत्यर्पण का विरोध किया। लश्कर के सदस्यों के हमलों के दौरान छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे।

राणा को थी साजिश की पूरी जानकारी

संघीय अभियोजक ने कहा, “भारतीय कानून के तहत, साजिश के अन्य सदस्य भी हत्या के लिए उत्तरदायी होंगे, भले ही वे शारीरिक रूप से उपस्थित न हों।” इसमें कहा गया है कि इस मामले में हमलों से होने वाली मौत का अनुमान लगाया जा सकता है। राणा जानता था कि हेडली आतंकवादियों के साथ काम कर रहा था और लश्कर और अन्य सह साजिशकर्ता मुंबई में हमले की योजना बना रहे थे। वह ताजमहल पैलेस होटल और उसकी दूसरी मंजिल जैसे कुछ संभावित लक्ष्यों से भी वाकिफ था, क्योंकि उसने और हेडली ने उन स्थानों पर चर्चा की थी।

संघीय अभियोजकों के अनुसार, “इसके अलावा, क्योंकि हेडली ने राणा से दुबई, में मुलाकात की थी और उसे आगामी हमलों के बारे में बताया था, राणा को इपता था कि क्या होने वाला है।”

कई धाराओं के तहत राणा की गिरफ्तारी चाहता है भारत

पाकिस्तानी-अमेरिकी लश्कर आतंकवादी हेडली 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश रचने में शामिल था। उन्हें इस मामले में एक सरकारी गवाह बनाया गया था और वर्तमान में हमले में उनकी भूमिका के लिए अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है। भारत, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत हत्या की साजिश, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी करने की साजिश और हत्या सहित कई अपराधों पर राणा की गिरफ्तारी चाहता है। मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए उसकी तलाश की जा रही है।

2008 का मुंबई हमला भारत के सबसे भयानक आतंकवादी हमलों में से एक था। जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद अजमल कसाब को 21 नवंबर, 2012 को फांसी पर लटका दिया गया था।

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