गले तक कर्ज में डूबा पाकिस्तान अपने लोगों के लिए दो जून की रोटी तक नहीं मुनासिब करा पा रहा है। बढ़ती महंगाई, तेल की कीमतों के ऊंचे भाव से हर पाकिस्तानी की जेब ढीली हो गई है। पहले से ही 100 अरब डॉलर के कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने आईएमएफ के सामने हाथ पसारा लेकिन उसे आर्थिक मदद मिलने में देरी हो रही है। ऐसे में पाकिस्तान क्या करे कि आर्थिक तंगी से उसे राहत मिले। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान के पास एक ऐसा खजाना है, जिसका इस्तेमाल कर वह अपनी माली हालत को ठीक कर सकता है।
आर्थिक मामलों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान अपनी खस्ताहाल स्थिति को ब्लू इकोनॉमी के जरिए सुधार सकता है। ब्लू इकोनॉमी यानी वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट, जिसके जरिए तटीय कामकाज के मद्देनजर समुद्र से जुड़े बिजनेस और सर्विसेस के जरिए किसी भी देश के रेवेन्यू में काफी इजाफा किया जा सकता है।
ब्लू इकोनॉमी में क्या होंगे अवसर
ब्लू इकोनॉमी में एनर्जी तेल, गैस और रिन्यूएबल एनर्जी के अलावा शिपिंग, मैरीटाइम, कृषि, मछली पालन और टूरिस्ट सेक्टर शामिल हैं। ब्लू इकोनॉमी की मदद से पाकिस्तान अपनी आर्थिक, भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है। पाकिस्तान की ब्लू इकोनॉमी में 100 अरब डॉलर से अधिक की क्षमता है और पाकिस्तानी सरकार अपने पड़ोसी देश चीन के साथ मिलकर कई नई परियोजनाएं शुरू कर रहा है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के जरिए बंदरगाह शहर ग्वादर में कई परियोजनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
पाकिस्तान की स्थिति
नकदी की भारी किल्लत का सामना कर रहे पाकिस्तान में वार्षिक मुद्रास्फीति दर इस सप्ताह बढ़कर रिकॉर्ड 38.42 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जरूरी वस्तुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होने से पाकिस्तान में मुद्रास्फीति इस स्तर पर पहुंची है। समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शनिवार को पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के हालिया आंकड़ों का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट में कहा है कि अल्पावधि मुद्रास्फीति का मापन करने वाला संवेदी कीमत सूचकांक (SPI) इस सप्ताह सालाना आधार पर बढ़कर 38.42 प्रतिशत हो गया।
साप्ताहिक स्तर पर एसपीआई में 2.89 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले सप्ताह 0.17 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। पिछले सप्ताह सालाना स्तर पर एसपीआई मुद्रास्फीति 34.83 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
मुद्रास्फीति में यह वृद्धि पाकिस्तान सरकार के नए कर लगाने और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने के कारण हुई है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.1 अरब डॉलर की मदद मिलने की शर्त के तौर पर यह कदम उठाया है।
पेट्रोल की कीमतों में एक सप्ताह में 8.82 प्रतिशत, पांच लीटर खाद्य तेल की कीमतों में 8.65 प्रतिशत, एक किलोग्राम घी के दाम में 8.02 प्रतिशत, चिकन मीट की कीमतों में 7.49 प्रतिशत और डीजल की कीमत में 6.49 प्रतिशत वृद्धि हुई है।